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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

भरोसा कोई न कल का

        भरोसा कोई न कल का

बहुत कर्म कर लिए ,निकम्मा आज हो गया ,
                          करना चाहे  लाख ,मगर ना कुछ कर पाता
धीरे धीरे शिथिल हो रहा तेरा तन है ,
                           अपने मन में हीन भावना ,क्यों है लाता
सच ये तेरा क्षरण हो रहा साथ समय के ,
                            हर पग तेरा ,बढ़ता जाता ,मरण राह पर
जीर्ण क्षीर्ण हो रही तुम्हारी कंचन काया ,
                            लेकिन तेरा ,नहीं नियंत्रण ,कोई चाह पर
बहुत जवानी में तू खेला,उछला कूदा ,
                             बहुत प्रखर था सूर्य ,लग गया पर अब ढलने
पतझड़ का मौसम आया ,तरु के सब पत्ते,
                              धीरे  धीरे सूख  सूख  कर लगे  बिछड़ने
यह प्रकृति का नियम ,नहीं कुछ तेरे बस में,
                               जो भी आया है दुनिया में ,वो  जाएगा
बस तेरे सत्कर्म ,काम आयेंगे तेरे ,
                                 जिनके कारण तुझको याद किया जाएगा
लाख छोड़ना चाहे तू ,पर छूट न पाती ,
                                  अब भी मोह और माया ,मन में बसी हुई है
और  कामना के कीचड में तेरी किश्ती,
                                  निकल न पाती,बुरी तरह से फसी हुई है
क्यों तू इतना दुखी हो रहा,खुश हो जी ले,
                                   जितने भी दिन बचे ,उठा तू सुख हर पल का
कल कल करती जीवन सरिता ,कब सागर में ,
                                   मिल,विलीन हो जाए ,भरोसा कोई न कल का

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'  
   

बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

कच्चा पक्का

   

आओ तुमको बतलाते है ,कुछ पक्के ,कच्चे की बातें 

कच्चे आमों को चटखारे,ले लेकर ,दुनिया खाती है 
अमिया का बना मुरब्बा या फिर पना अचार बनाती है 
जब पकते है  तो आम मुलायम ,होते रसवाले ,मीठे 
कोई खाता है काट काट ,तो कोई मुंह ले रस चूसे 
है राजा आम फलों के पर ,ज्यादा दिन तक ना टिक पाते 
आओ तुमको बतलाते है,कुछ पक्के ,कच्चे की बातें 

जब कच्ची उमर हमारी थी ,हम नटखट थे ,शैतान बहुत 
दुनियादारी में कच्चे थे ,जीवन पथ से अनजान बहुत 
जब थोड़े पके,जवानी आयी ,शादी की ,मुस्तैद हुए 
जिम्मेदारी आयी सर पर ,तो पक कर बाल सफ़ेद हुए 
अब ढीले ढाले और  निर्बलहै,हम अब बूढ़े कहलाते 
आओ तुमको बतलाते है,कुछ पक्के,कच्चे की बाते 

बिजनैस में आये तो देखी फिर डीलिंग अच्छे अच्छे की 
जिसको भी देखो ,वही बात,करता था पक्के,कच्चे  की 
बिलकुल कच्चे थे बिजनेस में ,पर अकल आयी जब थोड़ी सी 
फिर किया बहुत कच्चा पक्का ,और टैक्स बचाया,चोरी की 
पर गायब मन का चेन हुआ ,हर पल रहते थे घबराते 
आओ तुमको बतलाते है ,कुछ पक्के ,कच्चे की बातें 

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

तीन युगल त्रिपदियां

  

                 प्रथम 
                    १ 
    चार पहियों के नीचे , 
    चार नीबू शहीद हुए ,
     किसी की नयी कार आयी 
                    २  
     वधू  का बाप ,
      भारी कर्ज से लदा ,
      वर के घर,बहार आयी 
           
               द्वितीय 
                     १ 
  सास के चेहरे पर ,
   छाई हुई उदासी ,
   बहू ने बेटी जनी
                २ 
मातृत्व सुख पाकर भी,
सहमी सी बहू है ,
थोड़ी सी अनमनी 

            तृतीय  
                १ 
 सब कुत्ते भोंक रहे ,
लगता है गली में ,
आया है नया कुत्ता 
               २ 
देश के कर्णधार ,
देश की संसद में ,
हो रहे गुत्थमगुत्था 

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

बहू चाहिए-आलू जैसी

       बहू चाहिए-आलू जैसी

शर्माजी का बेटा बड़ा हुआ,
उन्हें बहू की थी तलाश
ढूंढ रहे थे इधर उधर ,आस पास
हमने उनसे पूछा आपको बहू चाहिए कैसी
शर्मा जी बोले 'आलू 'जैसी
जैसे  आलू हर सब्जी के साथ मिल कर स्वाद बढ़ाये
उसी तरह वह घर के हर सदस्य के साथ,
घुल  मिल जाए
और जिंदगी का स्वाद बढ़ाये
इतनी 'वर्सेटाइल 'हो कि हर जगह काम आ सके
समोसे में भरलो ,आलू टिक्की बनालो,
परांठों में भर कर भी खाई जा सके
आलू के पकोड़े में ,आलू की पेटिस में
वडा पाव वाले बड़े में या आलू की चाट में
सभी जगह आलू बिराजमान रहता है ठाठ में
हर जगह आलू का जलवा है
बड़ा स्वाद होता ,आलू का हलवा है
आज की नयी पीढ़ी को भी ,
प्यार से खाती है आलू जी भर
आलू के 'फ्रेंच फ्राई ' या आलू टिक्की बर्गर
और दिन भर चरने को,आलू के वेफर
और सच्ची बात तो यह है,
अन्य सब्जियां तो,
एक दो दिन में ही,हो जाती है खराब
और आलू को,शीतगृह में,रखदो,
पूरे साल भर ,कायम रहता है उस पर शबाब
इसलिए भाई साहेब ,
अगर कोई आलू के गुण वाली ,बहू मिल जाए
हमारी तो किस्मत ही खुल जाए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


आज की खबर -मेरठ में तेंदुआ

       आज की खबर -मेरठ में तेंदुआ

घुसा शहर में तेंदुआ ,कर घायल,दो चार
पुलिस हुई मुस्तैद और बंद हुए बाज़ार
बंद हुए बाज़ार ,लोग आतंकित इतने
किन्तु शहर में आदमखोर ,दरिंदे कितने
घूम रहे है ,खुल्लेआम नज़र है आते
कितनी ही अबलाओं को शिकार  बनाते

घोटू

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