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गुरुवार, 2 जनवरी 2014

नया साल - नयी नज्म



सबकुछ न बदले
पर इतना तो बदले,
कि इन्सान अपनी ही
फितरत न बदले...
मौसम न बदले
तो तासीर बदले,
हवाओं का रुख और
खुशबू तो बदले...
जीना न बदले
मरना न बदले
मगर बीच की जंग
का मंजर तो बदले...
रिश्ते न बदलें
जमाना न बद्ले
मगर नकली दिखना
दिखाना तो बदले...
नेता न बदलें
सियासत न बदले
जनता का बातों
में आना तो बदले...
कहते हैं चर्चित
नये साल पर ये
कि यारों का यूं
मुस्कुराना न बदले...

- VISHAAL CHARCHCHIT

बुधवार, 1 जनवरी 2014

झूंठ बोलिये


      झूंठ बोलिये

यदि जीवन सुख से जीना है
हंसी खुशी का रस पीना है
ना मालूम किसी के दिल को क्या चुभ जाए ,
मन की बातें ,मन में रखिये ,नहीं खोलिए
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये! झूंठ बोलिये!
सच्चे बोल कड़े लगते है
झूंठे बोल भले लगते है
मौका देखो,वैसा बोलो
चाहे ऐसा वैसा   बोलो
जरुरत है तो डट कर बोलो
मन के भाव सिमट कर बोलो
थोडा उलट पुलट कर बोलो
डर है,पीछे हट कर   बोलो
लेकिन ये है जो भी बोलो
सबके मन में मिश्री  घोलो
आप पाओगे ,ये दुनिया काफी भोली है
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
वो जो अगर सामने आये
आँख मिलाये या शरमाये
हो सकता है तुमसे पूछे
क्योंजी कैसी लगती हूँ मैं ?
अच्छा तुमको नहीं लगा हो
भले पाऊडर पोत  रखा हो
चुपड़ी हो गालों पर लाली
नज़र आरही गर्दन काली
पर जो करना उन्हें सुखी है
कहो आप तो चंद्रमुखी   है
झूंठी तारीफ़ करी,प्यार के बीज बोलिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
 अगर पड़ोसन घर आती है
चीजें मांग न लौटती   है
चीज लौट जब भी आती है
बिगड़ी ही पायी ही  जाती है
इसीलिये तुम ऐसा  करिये
झूंठ बोलने में ना डरिये
अब मांगे  तो यही कीजिये
कोई बहाना   बना  दीजिये
बिगड़ गयी या टूट  गयी है
समझो आफत छूट  गयी है
चीज भी बची ,झंझट से भी दूर हो लिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
भैया ये  तो प्रजातंत्र है
राज्य झूंठ का यत्र तत्र है
झूंठे है भाषण,आश्वासन
झूंठ बोलने वाला ,शासन
झूंठा धंधा  ,चोर बाज़ारी
झूंठे है नर,झूंठी   नारी
रहो रोम में रोमन जैसे
वरना काम चलेगा कैसे
तभी तरक्की कर जाओगे
जबकि झूंठ को अपनाओगे
देख हवा का रुख,उसके ही साथ हो लिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये !झूंठ बोलिये!
जीवन जियो हंसी खुशी का
आज ज़माना चापलूसी का
चापलूसी या मख्खनबाजी
पाकर सब ही होते  राजी
ये तुम तब ही कर सकते हो
माहिर झूंठ बोलने में हो
साहब आगे पीछे डोलो
हाँ को हाँ,ना को ना बोलो
अगर झूंठ पर ना लगाम है
जिव्हा सोने की खदान है
मतलब पूरा करिये,सुख के द्वार खोलिए
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
केवल आप युधिष्ठिर होकर
सत्य सत्य का रोना रोकर
जी न पाओगे ,इस दुनिया में
आज ज़माना बदल गया है
अब सौ क्या ,लाखों कौरव है
झूंठ बोलना ही गौरव है
और युधिष्ठिर भी मौके  पर
झूंठ युद्ध में बोल गये  पर
कहा गया अश्वस्थामा मर
यह न बताया ,नारी या नर
तो जब मतलब आये,मन की हिचक खोलिए
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
इस जीवन में कितने सारे
ऐसे मौके आते प्यारे
झूंठ बोलना ही है पड़ता
वरना सारा काम बिगड़ता
तुम्ही बताओ,दशरथ राजा
झूंठ बोलते ,अगर ज़रा सा
केकैयी के वचन भुलाते
अपने वादे से टल जाते
तो क्या चौदह बरस राम जी
खाक  छानते फिर जंगल की
सच के खातिर,कितने झंझट मोल ले लिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

चमचा

     चमचा

दुनिया देखी ,कुछ ना सूझा
एक साहब ने मुझसे पूछा
यार,अजब है दुनियादारी
चक्कर खाती ,अकल हमारी
वही तरक्की कर पाता है
जो कि चमचा कहलाता है
होता अरे तमाशा क्या है
 चमचे की परिभाषा क्या है 
ना  मैं अफसर,ना मैं नेता
बोलो फिर क्या उत्तर देता
किन्तु समझ में जो भी आया
मैंने उसको साफ़ बताया
'च' से चुगलखोर  हो जाता
'म'से 'मख्खनबाज' कहाता
'चा'से 'चापलूस' होता है
सब गुण मिल चमचा होता है
या फिर'च'से चतुर जानिये
और 'म'से 'मक्कार'मानिये
'चा'से जो 'चालू'होता है
समझो वह 'चमचा' होता है
जो मुंह लगा हुआ होता है
बस वो ही चमचा होता है
चमचा होता सुख का दाता
जो ना केवल हमें खिलाता
बल्कि परसता भी है जाता
काम पकाने के भी आता
सरे आम ,सुन्दर से सुन्दर
चाहे नारी हो चाहे नर
सबका मुख चुम्बन करता है
चमचा वह हिम्मत रखता है
और बड़े से बड़े कड़ाहों ,
के भी गरम गरम पकवानो,
को वह हिला दिया करता है
सब कुछ मिला दिया करता है
चमचे में 'चम' लगा यार है
'चम 'में काफी चमत्कार है
जिसका वह होता है चमचा
'चम 'उसको देता है चमका
और चमचे का अंत 'मचा'है
देता उसकी धूम मचा  है
बेलन को पिसना पड़ता है
चकले को घिसना पड़ता है
तवा अंगीठी पर जलता है
सबको कुछ करना पड़ता है
चमचा ना कुछ करता धरता
लेकिन फिर भी उसको मिलता
पका पकाया माल ताल है
यह सब चमचे का कमाल है
मालिक के मुख में पहुंचाता
सारा यश है खुद पा जाता
और जो कुछ चिपका रह  जाता
वह भी चमचे का हो जाता
समझदार कुछ खानेवाले
चमचे को अपनाने वाले
बिना हाथ से अपने छूकर
बिलकुल शुद्ध ,पवित्तर रह कर
जो खाना है ,खा लेते है
अपना काम बना लेते है
चमचा उसके हाथ लगा है
और इशारों पर चलता है
उसके भाग्य सदा खिलते है
सब पकवान उसे मिलते है
पहले जिसके पास कभी भी
जितनी अधिक जमीं होती थी
वही बड़ा माना जाता था
जितना ज्यादा धन पाता था
अधिक औरतें रख पाता था  
बड़ा आदमी कहलाता था
किन्तु आज के इस समाज मे
ज्यादा चमचे रखे पास में
वही बड़ा माना जाता है
बड़ा आदमी कहलाता है
क्योंकि अगर चमचे अच्छे है
तो धन भी है ,बड़े मजे है
तो जमीन भी मिल जाती है
और औरतें भी आती  है
सच,चमचे में बड़ा तेज है
अंगरेजी में एक फ्रेज़ है
भाग्यवान वो होता, मुंह में
रख चांदी का चमचा ,जन्मे
भाग्यवान वह क्यों कहलाता
चमचा मुंह में रख कर आता
अब चमचों के भी चमचे है
हर चमचे के बड़े मजे है
मालिक के संग आते जाते
चमचे भी है पूजे जाते
चमचे रखना ही गौरव है
चमचे रखना ही  वैभव है
ऐश्वर्य है और बड़प्पन
होती है चमचो की खन खन
आज तरक्की की सीढ़ी पर
चमचों की ही भीड़ रही बढ
चहल पहल है तो चमचों की
चमक दमक है तो चमचों की
इसीलिये तुम मेरी सुनिये
चमचे बनिये !चमचे बनिये !

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
  


मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

नमस्कार


         नमस्कार

आगे पीछे 'नर'है जिसके ,और बीच में 'मस्का'है
नमस्कार की परिभाषा ये सबसे अच्छा चस्का है
दोनों हाथ जोड़ कर उनको ,सिर्फ यही बतलाना है,
अजी आप इन हाथों में ,सब काम हमारे बस का है

घोटू

मख्खन महिमा

             मख्खन महिमा

      नज़रें मत इधर उधर मारो
      यूं ही मत अपना  सर  मारो
       कुछ काम नहीं,ना झक मारो  
      या बैठे बैठे  गप्प मारो
       यदि जीवन सफल बनाना है
       कुछ लेना है ,कुछ पाना है
तो मेरी नेक सलाह सुनो,मुझ पर विश्वास करो यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो ,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

है बड़े तपस्वी,सिद्ध,महान ,महिमा है मख्खन  भैया की
सारी गोपी दीवानी थी ,उस मख्खन मार कन्हैया की
जिस को मख्खनबाजी आती ,वो निज मंजिल को पायेगा
पंडितजी को मख्खन मारो तो स्वर्ग तुम्हे मिल जाएगा
गर 'बटरिंग'करना आता है और 'बटर 'तुम्हारा 'प्योर'है
प्रोफ़ेसर पर अप्लाय करो,तो फर्स्ट डिवीजन 'श्योर '  है
पत्नी  को जो मख्खन मारो,पकवान मिलेंगे खाने को
सम्पादक को मख्खन मारो,अपनी कविता छपवाने को
चाहे चमचा बन कर मारो,चाहे कड़छा बन कर मारो
यदि कुछ करके दिखलाना तो,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

मख्खनबाजी सीखो साथी यदि जीवन में कुछ करना है
यदि बातें करना आती है तो मुख सोने का झरना है
मख्खन का रिश्ता है धन से,जलती जीवन की ज्योती है
मख्खन के पीछे खन,खन है ,खन खन रुपयों से होती है
जब जमा दूध हम मथते है तो उससे मख्खन आता है
और जब हम मख्खन मलते है ,तो फिर उससे धन आता है
जितना ज्यादा होगा मख्खन,उतनी ज्यादा होगी खन खन
जितनी ज्यादा होगी खन खन ,उतना अच्छा होगा जीवन
मैं झूंठ नहीं सच कहता हूँ,मुझ पर विश्वास करो यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो ,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

अंगरेजी भाषा में मख्खन को 'बटर 'पुकारा जाता है
लगता है 'बटर' और 'बेटर ',इन शब्दों में कुछ नाता है
यदि 'बेटर 'बनना है तुमको ,तो 'बटर' काम में लाओ तुम
'बटरिंग'का असर निराला है,अपने सब काम बनाओ तुम  
मख्खन लगने से चेहरे पर ,कुछ ऐसी रौनक आती है
ऐसा चिकनापन छाता है, रंगत ही बदली जाती है
जैसे मख्खी याने कि'फ्लाय 'पर अगर 'बटर 'लग जाती है
तो 'बटर फ्लाय' हो जाती है,याने तितली बन जाती है
तो छोडो सारी खटर पटर ,अब 'बटर 'काम मे लो प्यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

यह बात सत्य है एक बार ,जिसको मस्खा लग जाता है
तो फिर मख्खन लगवाने का ,उसको चस्का लग जाता है
ये सेक्रेटरी या फिर पी ऐ ,कुछ लोग किसलिए रखते है
मख्खन की आदत होती है,ये उनसे मख्खन चखते है
'यस सर'यस सर'या जी हज़ूर 'का टॉनिक पिया करते है
जो मख्खन चिपका रह जाता ,खा चमचे जिया करते है
कितने ही लोग पनपते है ,यूं हंसी खुशी चमचे बन के
आजादी के बाद हो गए ,भाव दस गुने  मख्खन के
बढ़ रही खूब मख्खन बाजी ,स्पष्ट बात ये है प्यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो,'मख्खन मारो!मख्खन मारो!

यदि तुमने  मख्खन ना  मारा ,तो समझो जीवन फीका है
पर याद रखो कि मख्खन बाजी का भी एक तरीका  है
साहब को यदि खुश करना है ,खिदमत में उनके साथ रहो
यदि वो जो दिन को रात कहे तो तुम भी दिन को रात कहो
साहब को फिर सलाम करना,पहले टॉमी को सहलाओ
उनके घर के सब काम करो,बीबी बच्चों को टहलाओ
बस साहब खुश हो जायेंगे ,तो समझो फिर  बलिहारी है
शीघ्र प्रमोशन होने की ,पहली रिकमंड तुम्हारी है
सारे रस्ते खुल जायेंगे ,मत प्यारे तुम हिम्मत हारो
यदि कुछ करके दिखलाना तो मख्खन मारो!मख्खन मारो!

पहले दूध दही की नदियां बहती थी ,अब क्या कम है
अब दूध दही सबका मंथन,केवल मख्खन ही मख्खन है
दुनिया के चप्पे चप्पे में ,मख्खन की महिमा मोटी है
मख्खन मारा तो स्वाद अधिक ,हो जाती प्यारे रोटी है
मख्खन के चिकनेपन पर तो ,हर चीज फिसलने लगती है
बन जाते है सब काम,दाल तुम्हारी गलने लगती  है
तुम चमक जाओगे दुनिया में,यदि नित मख्खन की मालिश हो
सब काम सिद्ध हो जायेंगे,यदि मख्खन ,शुद्ध ,निखालिस हो
मैंने आजमा कर देखा है,मुझ पर विश्वास करो यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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