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गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

काला- गोरा

           काला- गोरा

काली आँखे मुख की शोभा बढ़ा रही है ,
                          काले केश हमेशा मस्तक पर रहते है
काला ही तो गोर की शोभा होता है ,
                           काले रंग को लोग बुरा फिर क्यों कहते है
गोरा रंग कहाँ रहता है,पगथलियों में,
                            नग्न बिचरता है गलियों में आवारा
या फिर छुपा हुआ रहता जूते के अंदर,
                             सूरत दिखलाने में डरता  बेचारा
नारी तक भी नहीं चाहती गोरा रंग ,
                               गोरे  हाथों को मेंहदी से रंग लेती है
गोरे  मस्तक से उसको कोई लगाव नहीं ,
                                 इसीलिये माथे पर बिंदिया देती है
बुरी चीज को सभी छुपाया करते है,
                                  इसीलिये गौरी मुख घूंघट होता है
गोरा गात भले हो रोम रोम में पर,
                                   काले काले रूऑ  का जमघट होता है
 गोरे  सूरज की प्रखर तेज किरणो से तो,
                                   काला दाग लिए चन्दा ही शीतल है
काले बादल ही तो सुख बरसाते है,
                                   शोभा आँखों की होता काला काजल है
गोरा रंग भी क्या कोई रंग में रंग है ,
                                    जिसका अपने खुद पर कुछ अधिकार नहीं
भरतपुरी लोटे सा बिन पेंदे वाला,
                                     जिस रंग में चाहो रंगलो ,इंकार     नहीं
युगों युगों से काला रंग स्वाभिमानी ,
                                       खुद को बहकावे में ना आने देता है
अपने सिद्धांतों पर अटल सदा रहता ,
                                       और रंगों को निज रंग में रंग लेता है
काला रंग सदा गम्भीर हुआ करता ,
                                       टुच्चेपन की गोरा रंग निशानी है
गहरा पानी काला रहता ,गम्भीर सदा ,
                                        जो उजला रहता वो छिछला पानी है
कृष्ण कन्हैया का वो काला रंग ही था,
                                        कई गोपियाँ जिसके हित दीवानी थी
गोरे रंग की करतूत शहीदों से पूछो,
                                         अंग्रेजों से क्यों लड़ी लक्ष्मी रानी थी
गोरा रंग जुल्मी बेरहम हुआ करता,
                                         गोरी तलवार हमेशा खून बहाती है    
काला रंग शांति का द्योतक होता है ,
                                          काली म्यान मिली ठंडी हो जाती है
जो हरदम सुखदुख में साथ रहा करता ,
                                          वो अपना साया भी काला होता है
काला तिल 'ब्यूटी स्पॉट 'कहाता है,
                                         तिल से चेहरा कितना मतवाला होता है
काला रंग प्रतीक जवानी यौवन का,
                                          काले केश ,जवां मस्तक पर छाते है
काले का महत्त्व उनसे पूछो जो निज ,
                                           उजले बालों पर रोज खिजाब लगाते है 
पुरुषों के गोर मुख पर काली दाढ़ी है,
                                           दांतों पर काली मूंछों का साया है
काली कोयल ही  मीठे गाने गाती है ,
                                           काली जुल्फों ने किसको नहीं लुभाया है
काला धुंवा हरदम ऊंचा उठता है ,
                                         साधी सादी होती काली घरवाली  है
इसिलिये मै काले के गुण गाता हूँ,
                                            मैं काला हूँ,मेरी  बीबी  काली है                  

ये आदत निगोड़ी नहीं जाती

         ये आदत निगोड़ी नहीं जाती

प्रीत तो दो दिलों का बंधन है ,
हर किसी से ये जोड़ी नहीं जाती
 जुड़ी तो,रिश्ता जन्मजन्म का है,
कच्चे धागे सी  ,तोड़ी नहीं जाती 
कोई कोशिश  लाखों ही करले,
राह किस्मत की मोड़ी नहीं जाती
कशिश कुछ न कुछ तो है समंदर में,
वर्ना नदियां वहाँ दौड़ी नहीं जाती
जब तलक बहुत ना हो मजबूरी ,
बच्चों की गुल्लक,फोड़ी नहीं जाती
जबसे बहुत गुस्ताख हुई है सर्दी ,
रजाई है कि ये  छोड़ी नहीं जाती
दूसरों की जिंदगी में दखल देने की,
हमारी ये आदत ,निगोड़ी नहीं जाती
'घोटू'तो जिंदादिल है ,जीता मौजमस्ती में,
ऐसी लत पड़  गयी,छोड़ी नहीं जाती  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

'आप'ने

                 'आप'ने

 

दर्देदिल,दर्दे जिगर ,दिल में जगाया आप ने

हम कहीं के ना रहे ,ऐसा   हराया   आप ने

खुद तो अट्ठाइस सीटें ,जीत कर गर्वित हुए ,

और हमको , आठ सीटों ,पर जिताया आपने

हमने  सोचा ,मिले हम तुम,और ये घर बसायें,

पर न गुण मिलते हमारे ,ये बताया  आप ने

आठ अट्ठाइस मिले,छत्तीस गुण सब मिल गए ,

फिर भी शादी करने का ना मन बनाया ,आप ने

हम तो 'लिविंग इन रिलेशनशिप'को भी तैयार थे,

मांग अट्ठारह वचन , चक्कर चलाया  आप ने

आपकी वो सारी शर्तें,हमने  झट से मान ली,

लोगों से पूछेंगे कह ,पीछा छुड़ाया    आप  ने

आप की मर्दानगी पे जनता शक करने लगी ,

छह माह में बच्चे देंगे  ,बरगलाया  आप ने

अपनी जिम्मेदारियों से ,ऐसे पल्ला झाड़ कर,

पात्र खुद को ही हंसी का,है बनाया  आप ने

 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

दाढ़ी


              दाढ़ी
दाढ़ी इतनी बढ़ी,ढेर से बाल आ गये  
चिकने चिकने गालों पर जंजाल छा गये
सोलह वर्षों तक हमने सींचा था ऑइल
तब कहीं बनी है ,गाल भूमि यह फर्टाइल
रोज काटता ,फसल रोज  बढ़ जाती है
व्यर्थ फेंकता ,काम नहीं कुछ आती  है
डेली नयी फसल को मैं करता  काटा
फिर भी तो इस धंधे में पड़ता  घाटा
ना काटूं ,क्या करू,व्यर्थ की आफत है
और बिना काटे आ जाती शामत है
कहती बीबी है नाज़ जिसे निज बालों पर
'ये झाड़ फूंस क्यों बढ़ा रखे है गालों पर
पैसा कितना दाढ़ी बढ़ा बचा लोगे
क्या कोई नयी चिड़िया तुम इसमें पालोगे'?
कोई कहता मैं बेकारी का मारा हूँ
तो कोई बतलाता मैं आवारा  हूँ
कोई कहता कैसा फेशन का भूत चढ़ा
नहीं कटाता ,दाढ़ी इसने  रखी   बढ़ा
तो फिर कोई कहता है बीमार मुझे
जाने क्या क्या कहता है संसार मुझे
घरवाले भी क्या क्या सोचा करते है
बच्चे गोदी चढ़ ,दाढ़ी नोचा करते  है
देख बढ़ी दाढ़ी नाई भी जलता है
बिन मुंड़वाये ,काम नहीं  कुछ चलता है
एक दिवस की बीबीजी से यह चर्चा
सहा न जाता साठ रूपये मासिक खर्चा  
जितने रूपये बलिदान किये इस दाढ़ी पर
यदि खर्च किये होते बीबी की साड़ी पर
दो चार दर्जन साडी अब तक ले ही आते
सुनते पत्नी की प्रेम भरी मीठी बातें
हालांकि बात यह थी बीबीजी के मन की
फिर भी हो नाराज़ वो हम पर थी तुनकी  
क्योंकि बीबीजी है राष्ट्रीय विचारों की
सुलझाती रहे समस्या वह बेकारों की
बोली कितने परिवार कि इस पर जीते है
सभी नाई इसके बल खाते पीते है
उस्तरे साबुन वाले इसकी खाते है
ब्लेड वाले इससे ही अरे कमाते है
दाढी ने कम करी बहुत बेकारी है
देशोन्नती में सहयोग कि इसका भारी है
'काश अगर औरत के दाढ़ी आ जाती
तो समझो बेकारी सारी मिट जाती
हो जाती खर्च मुंडाई में आधी कमाई
जितने है बेकार सभी बन जाते नाई
सर पर तो है,जब गालों पर दाढ़ी बढ़ती
दो चोंटी फिर आगे भी गुंथवानी पड़ती
गोरे  गालों पर हरी झांई छा जाती फिर
चार चोटियों की नारी हो जाती फिर
और समस्या फिर यह अति ही टेढ़ी होती
क्या लेडी के लिए नाई भी लेडी  होती
सिर्फ पुरुष को दी दाढ़ी की आफत है
क्या भगवान तुम्हारी यही शराफत है ?




















मेचिंग का मेच

            मेचिंग का मेच   
                       १
शादी को अपने हुए ,अब पूरे दस साल
बोलो क्या प्रेजेंट तुम ,दोगे  अबकी बार
दोगे  अबकी बार ,कहा जब पत्नी  जी ने
हम बोले, लो प्यार ,आये जितना भी जी में
'प्यार,प्यार तो अजी आपका मिलता अक्सर
अबकी बार  चाहिए हमको साडी  सुन्दर
                        २
साडी  लेने  हम गए ,पत्नी   जी के संग
भड़कीला सा प्रिंट हो, चटकीला सा रंग
चटकीला सा रंग ,दुकाने काफी छानी
दो हज़ार में  साड़ी ,सुन्दर मिली सुहानी
'घोटू'एक सूती  साड़ी भी मन को भायी
लेने एक गए थे ,पर दो  साड़ी आयी
                       ३
अब हमको दिलवाइए ,मांग हुई तत्काल
मेचिंग ब्लाउज पीस और मेचिंग साड़ी फाल
मेचिंग साड़ी फाल ,और कुछ नोट चाहिए
सिलसिलाया मेचिंग पेटीकोट  चाहिए
कह घोटू कविराय आयी फिर मांग निगोड़ी
दिलवा दो ना ,एक मेचिंग चप्पल की जोड़ी
                       ४
पत्नी जी कहने लगी ,होकर ज़रा उदास
मेचिंग रंग की चूड़ियाँ ,नहीं हमारे पास
नहीं हमारे पास ,चाहिए बिंदिया मेचिंग
मिलता जुलता हो लोकिट ,साड़ी पिन ,इयरिंग
हमको मेचिंग एक पर्स सुन्दर ला दो ना 
सर्दी है,मेचिंग कार्डिगन  दिलवा दो ना
                         ५
देखो अब पूरी हुई ,मेरी मेचिंग ड्रेस
कमी सिर्फ बस चाहिए ,मेचिंग वाच स्ट्रेप
मेचिंग वाच स्ट्रेप ,तभी निकलूं बन ठन के
लगा लिपस्टिक,नेलपॉलिश मेचिंग फेशन के
कह घोटू कवि  मेच चला मेचिंग का ऐसा
खर्च हो गया ,साड़ी से भी दूना पैसा 

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