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शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

विनती -प्रभू से

    विनती -प्रभू से

प्रभू जी तुम क्यों न आते आजकल
अपनी लीलाये दिखाते  आजकल
तरक्की का गज ग्रसित है ग्राह से,
देश को क्यों ना बचाते आजकल
व्यवस्थाये  अहिल्या सी शिलावत ,
पग लगा क्यों ना जिलाते आजकल
उसको आरक्षण तो है दिलवा दिया ,
बैर शबरी के न  खाते आजकल
जनता का है चीर हरता दुशासन ,
चीर ,आ,क्यों ना बढाते आजकल
तुमसे मिलने फीस देता सुदामा ,
दौड़ ,खुद ना द्वार आते  आजकल
सबसिडी चांवल पे तुमने दिलादी ,
खुद न वो चावल चबाते आजकल
पोल्युशन से यमुना मैली हो गयी ,
कहाँ पर हो तुम नहाते आजकल
दे रहे  शिशुपाल कितनी गालियाँ,
चक्र क्यों ना हो चलाते  आजकल
कंस का है वंश बढ़ता जा रहा ,
क्यों न तुम आकर मिटाते आजकल
आओ,तुमको याद ब्रज आ जाएगा ,
लोग सब ,मक्खन लगाते  आजकल

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

Compliments; Please read and reply!

Hi,

I got your email from a marketing company, so i decided to let you know about the business opportunity of supplying us raw material from India. I am an employee of a multi-national animal vaccines production company in USA and UK working as the production manager.

There is a raw material which our company always send me to purchase from India. Right now I have been promoted to the post of production manager and the company cannot send me to India again, our director has asked me for the contact of the local dealer in India to enable them send the new purchasing manager to India to purchase the product directly from the dealer in India.

This material can only be found in India and Fiji only but cheaper in India. I want you to act as the dealer. I will present you to the company as the dealer in India where i was purchasing this product; You would now purchase the product from the dealer whom I used to buy from, and supply to our company with you as the direct dealer. After purchase from original seller, you would sell to our new purchasing manager at a higher price. The profit would be shared between you and I. This business is very lucrative and it is continuous.

Your role must be played perfectly and the least I expect from you is betrayal. I don't want my organization to know the real cost of the product for obvious reasons. Kindly revert me if you are interested; Let me know if you can handle this supply.

Get in touch with me through my mail id: poppelmonrad@yahoo.com

Hope to hear from you soon!

Regards,


Poppel Monrad

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

गलती हमी से हो गयी

          गलती हमी से हो गयी

        आपने जो भी लिखा सब ठीक था ,
          पढने में गलती हमी से हो गयी
बीज बोये और सींचे प्यार से,
चाहते थे ये चमन,गुलजार हो
पुष्प विकसे ,वृक्ष हो फल से लदे,
हर तरफ केवल महकता प्यार हो
          वृक्ष लेकिन कुछ कँटीले उग गये ,
           क्या कोई गलती जमीं से हो गयी
पालने में पूत के पग दिखे थे ,
मोह का मन पर मगर पर्दा पड़ा
उसी पग से लात मारेगा हमें ,
और तिरस्कृत करेगा होकर बड़ा
            पकड़ उंगली ,उसे चलना ,पग उठा,
             सिखाया ,गलती हमी से हो गयी
हमने तो बोये थे दाने पोस्त के,
फसल का रस मगर मादक हो गया
गुरूजी ने तो सिखाया योग था,
भोग में पर लिप्त साधक हो गया
               किस पे अब हम दोष आरोपित करें,
                कमी, कुछ ना कुछ, कहीं से हो गयी  
देख कर हालात  सूखी  धरा के ,
हमने माँगी थी दुआ  बरसात की
जल बरस कर मचा देगा तबाही ,
कल्पना भी नहीं थी इस बात की
                थोडा ज्यादा मेहरबां 'वो ' हो गया ,
                भूल कुछ शायद   हमी से हो गयी
                आपने जो लिखा था ,सब सही था,
                पढने में गलती हमीं से हो गयी   

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 18 सितंबर 2013

दक्षिणा के साथ साथ

    दक्षिणा के साथ साथ

अबकी बार ,जब आया था श्राध्द पक्ष
तो एक आधुनिक पंडित जी ,
जो है कर्म काण्ड में काफी दक्ष
हमने उन्हें निमंत्रण दिया कि ,
परसों हमारे दादाजी का श्राध्द है,
आप भोजन करने हमारे घर आइये
तो वो तपाक से बोले ,
कृपया भोजन का 'मेनू 'बतलाइये
हमने कहा पंडित जी,तर  माल खिलवायेगे
खीर,पूरी,जलेबी,गुलाब जामुन ,कचोडी ,
पुआ,पकोड़ी सब बनवायेगे
पंडित जी बोले 'ये सारे पदार्थ ,
तले हुए है,और इनमे भरपूर शर्करा है '
ये सारा भोजन गरिष्ठ है ,
और 'हाई केलोरी 'से भरा है '
श्राध्द का प्रसाद है ,सो हमको  खाना होगा
पर इतनी सारी  केलोरी को जलाने को,
बाद में 'जिम' जाना होगा
इसलिए भोजन के बाद आप जो भी दक्षिणा देंगे
उसके साथ 'जिम'जाने के चार्जेस अलग से लगेंगे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

छोटी दुनिया-बड़ा नजरिया


छोटी  दुनिया-बड़ा नजरिया
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मैंने पूछा लिफ्ट  मेन से
ऊपर नीचे, नीचे ऊपर
बार बार आते जाते हो
लोगों को अपनी मंजिल तक,
रोज़ रोज़ तुम पंहुचाते हो
छोटे से इस कोठियारे में,
 टप्पा खाते रहते,दिन भर
तुमको घुटन नहीं होती है?
लिफ्ट मेन बोला  मुस्का  कर
सर,ये तो अपनी ड्यूटी है
इससे ही मिलती रोटी  है
इसमें दुनिया दिख जाती है ,
लिफ्ट भले ही ये छोटी है,
हरेक सफ़र में नयी खुशबूए ,
नूतन सुन्दर चेहरे अच्छे
ऊपर नीचे आते ,जाते ,
झूले का सुख पाते बच्चे
 एक दूसरे से मिलने पर,
 हल्लो करते हुए पडोसी
न कोई अपनापन,
न कोई गर्मजोशी
बच्चों के स्कूली बेग थामती हुई
अस्त व्यस्त मातायें,
कोलेज जाने के नाम पर,
पिक्चर का प्रोग्राम बनाटी हुई कन्याये 
अपनी मालकिन की ,बुराइयाँ करती हुये ,
महरियाँ और  नौकर
सुबह सुबह अख़बारों का बण्डल उठाकर,
दुनिया की खबर बाँटने वाले,
न्यूज़ पेपर वेंडर
बहुओं की बुराई करती हुई सासें,
 सासों की आलोचना करती हुई बहुए
अपने पालतू कुत्ते को
पति से ज्यादा प्यार करती महिलाएं
बसों की भीड़ से उतर
पसीने में तर बतर
कुछ थके हारे पस्त चेहरे
अपनी बीबी के आगे भीगी बिल्ली बनते,
बड़े बड़े साहबों के रोबीले चेहरे
शोपिंग कर ढेरों बैगों का ,बोझ उठाये
थकी हुई पर प्रसन्न  महिलायें
हर बार
आती है एक नयी खुशबू की फुहार
विभिन्न वेशभूषाएं
भिन्न भिन्न भाषाएँ
मुझको इस छोटे से घर में
पूरा हिंदुस्तान नज़र आये
कभी बिछड़ों को मिलाता हूँ
कभी जुदाई के दृश्य देखता हूँ
ऊपर नीचे करते करते
मै रोज़ दुनिया के कई रंग देखता हूँ
और आप सोचते है की मुझे घुटन होती होगी
क्योंकि मै एक छोटे से डिब्बे में सिमटा हूँ
मै तो इस छोटे से डब्बे में भी,
खुश रहता हूँ, बड़े चेन  में
मुझे बताया लिफ्ट मेन ने

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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