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शनिवार, 1 जून 2013

घोटू की घंटी

         घोटू की घंटी 
       
जब होती पूजा मंदिर में ,बजती घंटी 
जब होती छुट्टी स्कूल में ,बजती घंटी 
जब घर में है कोई आता,  बजती घंटी 
फोन किसी का जब भी आता,बजती घंटी 
चपरासी को साहब बुलाते,  बजती घंटी 
आग बुझाने ,दमकल आते ,बजती घंटी 
जग जाते हम,जब अलार्म की,बजती घंटी 
सुलझे उलझन ,जब दिमाग की,बजती घंटी
जब कोई दिल में जाता बस, बजती घंटी 
शादी करते और गले में  ,बंधती  घंटी 
इसकी टनटन ,करे टनाटन ,बजती घंटी 
और बाद में,जब जाती ठन  ,बजती घंटी 
बिल्ली गले ,बाँधना है जो ,तुमको घंटी 
एक बार,देखो पढ़ कर ,'घोटू की घंटी'
घोटू  

शुक्रवार, 31 मई 2013

आज का मौसम

                 आज का मौसम 
                  
आज ठंडी सी हवाएं चल रही है ,
                       ऐसा लगता है कहीं बरसात आई 
मेरे दिल को बड़ी ठडक मिल गयी है ,
                        देख मुख पर तुम्हारे मुस्कान छाई 
कल तलक तो थी तपिश,मौसम गरम था ,
                        और थपेड़े गरम लू के चल रहे थे 
आपकी नाराजगी से दिल दुखी था ,
                         और विरह की आग में हम जल रहे थे 
बहुत तडफा मन,तुम्हारी याद में था ,
                          आँख कितनी बार मेरी डबडबाई 
आज ठंडी सी हवाएं चल रही है,
                            एसा  लगता है कहीं बरसात आई 
आपका भी हाल होगा हमारे सा,
                            आपको भी याद मेरी आई होगी 
घिरे होंगे याद के बादल घनेरे ,
                             भावनाएं घुमड़ कर मंडराई होगी 
 चाह तुममे भी हमारी जगी होगी,
                              मिलन को बैचैन हो तुम कसमसाई 
आज ठंडी सी हवाएं चल रही है ,
                                   ऐसा लगता है कहीं बरसात आई 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 30 मई 2013

mazza

                  मज़ा 
घास हो जो हरी कोमल,घूमने में है मज़ा 
गुलाबी हो गाल या लब ,चूमने ने है मज़ा 
फलों वाली डाल हो तो , लूमने में है मज़ा 
और नशा हो प्यार का तो,झूमने में है मज़ा 

घोटू 

तुम्हे रात भर नींद न आती

    

        दिन में क्यों इतना सो जाती 
           तुम्हे रात भर नींद आती 
           बार बार करवट लेती हो,
           और जगा मुझको  देती हो  
         मै सारा  दिन मेहनत करता,
        आफिस  में हूँ ,खटपट करता 
        थका हुआ जब घर पर आता 
         खाना  खाता ,और सो जाता 
        तुम टी,वी,के सभी सीरियल 
        देखा करती ,देर रात तक 
         मै  गहरी निद्रा में सोता 
         लेकिन अक्सर ऐसा होता 
         मुझे नींद से उठा,जगा कर 
         तुम पूछा करती ,अलसाकर 
         अजी ,सो रहे हो क्या,जागो 
         क्या टाइम है,ये बतला दो 
          और मुझको लिपटा लेती हो 
          मेरी नींद उड़ा   देती  हो 
           कभी कभी ,दिन में ना सोती 
           तो भी मेरी मुश्किल होती 
           इतने भरती हो खर्राटे 
           कि हम मुश्किल से सो पाते 
           ये तुम्हारा खेल पुराना 
           जैसे भी हो ,मुझे जगाना 
           और सताती रहती ,जब तब 
           सीख कहाँ से आई ,ये सब 
            मुझ पर ढेरो प्यार लुटाती 
            जगा जगा कर हो तडफाती  
             दिन में क्यों इतना सो जाती 
             तुम्हे रात भर,नींद न आती 

      मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
  

थका हुआ घोड़ा

          
            थका  हुआ घोड़ा 

जीवन के कितने ही दुर्गम ,पथ पर सरपट ,भागा दोड़ा 
                                          मै  तो थका हुआ हूँ घोड़ा 
मै हूँ अश्व रवि के रथ का ,करता हूँ ,दिन रात नियंत्रित 
सेवा और परोपकार में, मेरा सारा    जीवन  अर्पित 
कभी ,किसी तांगे  में जुत कर ,लोगों को मंजिल दिलवाई 
कभी किसी दूल्हे को अपनी ,पीठ बिठा ,शादी करवाई 
कितने वीर सैनिको ने थी ,करी सवारी,मुझ पर ,रण  में
' पोलो'और खेल कितने ही ,खेले मैंने  ,क्रीडांगन    में 
राजा और शूरवीरों का ,रहा हमेशा ,प्रिय साथी बन 
उनके रथ को दौडाता था,मै  ही था द्रुतगामी  वाहन 
झाँसीवाली  रानी के संग ,अंग्रेजों  से युद्ध किया था 
अमर सिंह राठौर सरीखे,वीरों के संग ,मरा,जिया था  
महाराणा प्रताप से योद्धा ,बैठे थे मेरी काठी   में 
मेरी टापों के स्वर  अब भी ,गूँज रहे हल्दी घाटी में 
दिया कृष्ण ने अर्जुन को जब,गीता ज्ञान,महाभारत में 
ज्ञान सुधा मैंने भी पी थी ,मै  था   जुता  हुआ उस रथ में 
प्रकटा  था समुद्र मंथन में ,लक्ष्मीजी का मै भाई  हूँ 
मै शक्ती का मापदंड हूँ , अश्व -शक्ती की मै  इकाई  हूँ  
हुआ अशक्त मशीनी युग में ,लोगों ने मेरा संग छोड़ा 
                                       मै  तो थका हुआ हूँ घोडा 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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