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सोमवार, 13 मई 2013

राजनीति से घिन आती है



भ्रष्टाचारी,बेईमानी ,
                     देखो जिधर उधर गड़बड़ है 
इस हमाम में सब नंगे है ,
                      सब ही इक दूजे से बढ़   है 
          कोई किस पर करे भरोसा 
           सभी तरफ धोखा  ही धोखा 
पड़े हुए आदश फर्श पर,
                         और सफ़ेद अब रक्त हो गया 
राजनीति से घिन आती है ,
                           ये  मन इतना दग्ध    हो गया 
चोरबाजारी ,घूस,रिश्वते ,
                             घोटाले  और हेरा फेरी 
लूट खसोट कर रहे सब ही ,
                               आधी तेरी,आधी मेरी 
               राजनीति के इस  अड्डे  में
               गिरे पतन के सब गड्डे   में 
बहुत जरूरी ,जैसे तैसे,
                          इन्हें बचाना  तख़्त हो गया 
राजनीती से घिन आती है ,
                            ये मन इतना  दग्ध हो गया 
रोज़ रोज़ हो रहे उजागर ,
                              नए नए सकें ,घोटाले 
सभी कोयले के दलाल है ,
                               हाथ सभी के काले ,काले 
              इक दूजे को लगे बचाने 
              भूल गए आदर्श  पुराने 
सत्ता की लिप्सा के सुख में, 
                              मन इतना अनुरक्त  हो गया 
राजनीति से घिन आती है ,
                              ये मन इतना दग्ध  हो गया  

मदन मोहन बाहेती'घोटू '
                 
     
               

डाक्टर और इलाज़

             

एक महिला  ,
गयी अपने फेमिली डाक्टर के पास 
और कहने लगी होकर उदास 
डाक्टर साहब,मेरे होठ बहुत सूखते है 
इसका बतलाइए कोई उपचार 
डाक्टर बोल ,इस बिमारी का,
 सबसे अच्छा है प्राकृतिक उपचार 
अपने पति से करवाइए ढेर सारा प्यार 
उनका चुम्बन और प्यार का लुब्रिकेशन ,
आपके होठों को गीला बना देगा 
गुलाबी और रसीला बना देगा 
महिला बोली ,यदि पति से ही,
 करवाना होता इलाज
तो मै क्यों आती आपके पास 
आप किस काम के है ?
क्या डाक्टर नाम के है 
जब ले रहे है फीस आप 
तो आप ही करिए इलाज़ 

मदन मोहन बाहेती'घोटू  

शनिवार, 11 मई 2013

दूल्हे की हौसला अफजाई

           दूल्हे की हौसला अफजाई

जिन्दगी सारी ही तुझको ,सर झुका के काटनी ,
                             आज तो तू बैठ ले ,घोड़ी पे रह कर के तना
एक दिन तो शेर बन जा,शेरवानी पहन कर ,
                              पूरा जीवन ,गीदड़ों  की तरह ही है काटना
सेहरे से ,तेरा चेहरा ,ढक  रखा है इसलिये ,
                               उडती रंगत ,परेशानी ,कोई पाए भांप ना 
हौसला अफजाई को इतने बाराती साथ है ,
                                 डालने में ,वधूमाला ,हाथ  जाए  काँप  ना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 
 

सोमवार, 6 मई 2013

फुल्लो की फ्रोक

    

कहीं पर पढ़ी थी ,एक छोटी सी कहानी 
एक थी फुल्लो  रानी 
गाँव की छह सात साल की अबोध बालिका 
बचपन में ही हो गयी थी ,उसकी सगाई 
और उसकी माँ ने थी उसको या बात समझाई 
ससुरालवालों के सामने शर्म करते है 
कभी वो सामने आ जाए तो मुंह ढकते है 
एक दिन वो पहन कर के फ्रोक 
खेल रही थी सहेलियों के साथ 
तभी ससुरालवालों को सामने से आता देख ,
फुल्लो ने हड़बड़ी में क्या किया 
अपनी फ्रोक  ऊंची की,और मुंह ढक लिया 
नन्ही मासूम को माँ की बात याद आयी 
लेकिन वो ये समझ न पायी 
मुंह तो ढक लिया पर नीचे से वो नगन है 
आज की राजनीती का भी ये ही चलन है 
जब कोइ किसी  नेता पर,
 भष्टाचार का इल्जाम लगाता है        
तो फुल्लो  की तरह ,फ्रोक से ,
 अपना मुंह ढकने की कोशिश तो  करता है ,
 पर नीचे का नंगापन ,सबको दिख जाता है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

किसी की ख़ुशी-किसी का गम

    किसी की ख़ुशी-किसी का गम

नेताजी के घर पोता पैदा हुआ ,
चमचों ने ख़ुशी मनाई
और बांटी मिठाई
पर कुछ देशप्रेमी विद्वजन व्यथित हुए
एक,दो नए स्कीमो का बोझ ,
देश को और झेलना पडेगा ,
इस चिंता में चिंतित हुए
क्योंकि नेताजी ने ,अब तक की,
 पीढ़ियों का इंतजाम तो कर लिया था,
अब एक नयी पीढ़ी और आगई है ,
उसका इंतजाम भी करना पडेगा
और इसका हर्जाना ,
आम आदमी को भरना पडेगा

 घोटू

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