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रविवार, 5 मई 2013

मामा भांजा

       मामा भांजा
एक पुरानी कहावत के अनुसार
जमाई,भांजा और सुनार
ये कभी अपने नहीं होते ,
आप करके देख लीजिये व्यवहार 
द्वापर युग का था जब ज़माना
प्रसिद्ध हुए थे ,दो भांजे और दो मामा
पहले भांजे श्री कृष्ण और मामा कंस
भांजे ने किया था मामा का अंत
क्योंकि मामा अत्याचारी बड़ा था
उसे मारने भगवान को अवतार लेना पड़ा था 
दूसरे प्रसिद्ध मामा है मामा शकूनी
कुटिलता में उनकी बुद्धि थी दूनी
हित में अपने भांजे के
इतने उलटे फांसे फेंके
कि महाभारत युद्ध करवा दिया
खुद भी मरे और भांजे को भी मरवा दिया
और इस युग में भी रेल मिनिस्टर
मामा श्री पवन बंसल
के साथ ,कहते है भांजे ने किया छल
रेलवे प्रमोशन के नाम पर कर घोटाला
खुद भी फसे ,और मामा को भी फसा डाला
अब असलियत क्या है ,
ये तो मामा भांजे दोनों जानते है
पर इस हमाम में सब नंगे हैं,
हम तो इतना मानते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 4 मई 2013

खबर क्या होती है ?

खबर क्या होती है ?

खबर वो होती है जो सबसे अलग दिखाये
जिसमे कुछ नवीनता नज़र आये
 नेताजी ने कहीं रिबिन काटा
या नेताजी को कुत्ते ने काटा  
ये तो 'रूटीन' समाचार है ,
खबर तब बनती है जब रिबिन काटनेवाले ,
नेताजी कुत्ते को काट खाये
अब जैसे पुलिसवाले,
 रिश्वतखोरी के लिये बदनाम है 
बिना पैसा लिए करते नहीं कुछ काम है
आम आदमी परेशान है
शिकायत या ऍफ़ आई आर दर्ज करने में भी ,
पुलिसवाले रिश्वत लेते है
पर खबर तब बनती है जब,
एक बच्ची पर बलात्कार की शिकायत ,
दर्ज ना करवाने के लिए ,
थानेदार साहब ,लडकी के बाप को ,
दो हज़ार रुपयों की रिश्वत देते है 
नेताओं के अनर्गल प्रलाप ,
तो यूं ही अक्सर सुनते रहते है आप
पर खबर तब बनती है जब ,
सूखे तालाबों को भरने के लिए ,
नेताजी कहते है 'करो पेशाब'
मंत्री और नेताओं के,
 भ्रष्टाचार के किस्से रोज आ रहे है 
और शासनकर्ता ,एक दूसरे को बचा रहे है
एक केन्द्रीय मंत्री ने किसी,
 सामुदायिक विकास के कार्य में ,
लाखों रुपयों की हेराफेरी की ,
जब ये समाचार टी .वी .पर आता है
तो खबर तब बनती है ,
जब दूसरा केन्द्रीय मंत्री  उसे बचाता है 
कहता , है केंद्र का मंत्री और बस लाखों की हेराफेरी ,
यह अविश्वसनीय लगता है 
क्योंकि केंद्र का मंत्री तो ,
करोड़ों की हेराफेरी करता है
ऐसी हास्यप्रद,फूहड़ ख़बरें ,आपको गुदगुदायेगी
मन में पीड़ा भी होगी ,हंसी भी आयेगी
और भाई साहब ,खबर तो तब बनेगी ,
जब ऐसे भ्रष्ट लोगों की चोकड़ी की सरकार ,
फिर से सत्ता में आ जायेगी 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

दास्ताने इश्क

      दास्ताने इश्क

थी बला की खूबसूरत ,वो हसीना ,नाज़नीं ,
                   देख कर के जिसको हम पे छा गयी दीवानगी
शोख थी,चंचल वो जालिम,कातिलाना थी अदा ,
                   छायी जिस की छवि दिल पर ,रहती सुबहो-शाम थी 
इश्क था चढ़ती उमर का,सर पे चढ़ कर बोलता ,
                   त़ा उमर रटते रहे हम ,माला जिसके   नाम की
उसने नज़रे इनायत की,जब बुढ़ापा आ गया ,
                    सूख जब फसलें गयी तो बारिशें किस काम की

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 2 मई 2013

छोटी इलायची -बड़ी इलायची

 

एक बड़ी नाजुक सी,एक बड़ी  फूहड़ सी 
एक बाल बिखराये ,और एक सुगढ़  सी 
एक हरी भरी सुन्दर ,नन्ही सी ,प्यारी सी 
एक बड़ी मोटी और बेडोल ,काली   सी 
एक रम्य ,रम्भा सी ,एक राक्षस वर्णी 
खुशबूए दोनों की ,मगर एक ही  धर्मी 
भोजन ,मिष्ठानो में ,वही स्वाद लाती है 
बार बार हमको ये,लेकिन सिखलाती है 
रूप रंग भ्रामक है ,सिर्फ शकल मत देखो 
सही परख आवश्यक ,अन्दर के गुण देखो 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

मै कोई राम नहीं हूँ

    

मै इस देश की बड़ी हस्ती 
भले ही इस पोजिशन पर ,
बैठाया गया था जबरजस्ती 
पर अब इस  ओहदे की पड़  गयी है आदत 
और देश में जब भी कोई घोटाला होता है ,
तो विरोधी दल सब 
मुझको उसमे इन्वोल्व करते है 
और मेरे इस्तीफे की मांग करते है 
भैया,न तो ये रामराज्य है ,न मै राम हूँ 
जो  धोबी के कहने पर ,
अपनी पत्नी को घर से निकाल दूं 
और उमर भर करता रहूँ पश्चाताप 
क्या ये अच्छी बात है ,बतलाइये आप 
मै तो मनमोहन श्री कृष्ण हूँ,
महाभारत करवाउंगा 
कौरव और पांडवों को लडवाऊँगा
और खुद चुपचाप सारथी  बना , 
अर्जुन का रथ चलाऊंगा 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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