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मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

देवताओं से

               देवताओं से

तुमने हमें बनाया है और हमने किया तुम्हारा उदभव
                                                      हम है     मानव 
तुमने हमको पाला पोसा,किया हमारा लालन पालन
हम विष्णु भगवान मान कर करते तुम्हारा आराधन 
तुमसे ही होता है प्रजनन ,जीवन मरण ,तुम्ही पर निर्भर
लिंग स्वरुप पूजते तुमको ,तुम ही महादेव हो शंकर
हम पर जिसने थोड़ा सा भी,कभी कोई उपकार किया है
हमने बना देवता उसको,स्वर्गलोक  में बिठा दिया है
तुम बादल बन करके बरसे ,तप्त धरा को आ सरसाया
हमने तुमको इंद्र बना कर ,स्वर्ग लोक का राज दिलाया
बसे हमारी श्वास श्वास में ,जब तुम हमको देते जीवन
बहते हो शीतल बयार बन,पवन देव कहते तुमको हम
ज्वलनशील तुम तप्त ह्रदय हो ,देते हो उष्मा जीवन को
हमने स्वर्गलोक पहुंचा कर ,अग्नि देवता ,पूजा तुमको
भरे सरोवर,नदिया ,सागर,जल बन कर के प्यास बुझाई
हमने वरुण देवता पद पर ,स्वर्गलोक में जगह दिलाई
सूरज बन देते प्रकाश तुम,आलोकित करते जन जीवन
हम भी तुम्हे  अर्घ्य देते है ,मान देवता ,करते पूजन
और भले ही घटते बढ़ते ,अंध निशा आलोकित करते
चन्द्र देवता मान तुम्हे हम ,तुम्हारा पूजन नित करते
तुम करते हम पर अनुकम्पा ,सुख से भरते हो जन जीवन
हम श्रद्धा से शीश नमा कर,करते तुम्हारा आराधन
ये पक्का विश्वास हमारा ,और हमारी सच्ची निष्ठां
कर देती है ,पाषाणों की ,मूरत में भी,प्राण प्रतिष्ठा
तुम हो तो हम ,हम है तो तुम ,यह अस्तित्व ,परस्पर संभव
                                                     हम है मानव
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

अटर -शटर -एक अनोखा पकवान

         अटर -शटर -एक अनोखा पकवान

आइये-एक नयी डिश का स्वाद लीजिये
एक समोसे पर ,टोमेटो सौस लगा कर ,
उसका चूरा कीजिये
अब उसमे धीरे धीरे ,कोकोकोला मिलाइये 
फिर थोड़ी चाट पकोड़ी और गोलगप्पे लाइये 
अब इसमें पनीर टिक्का मिलाइये
और ऊपर से फलों की चाट से सजाइये
थोड़ी सी देर बाद उस पर
 छोले और पुलाव डालिये मिला कर
अब एक मिस्सी रोटी के टुकड़े कीजिये
और ऊपर से दाल माखनी मिला दीजिये
अब ड्रेसिंग के लिए दो गुलाबजामुन,
चार पांच जलेबी और
 मूंग की दाल का हलवा  चाहिये
और ऊपर से आइसक्रीम से सजाइये
आप कल्पना करो ,इस मिली जुली ,
अटर शटर डिश का स्वाद होगा कैसा ?
मुंह क्यों बना रहे हो ,
मुझे तो खाने को अक्सर ही  मिलता है ऐसा
जी हाँ ! मै आपका पेट हूँ,
ऐसी ही अजीबोगरीब मिली जुली डिशें खाता हूँ
जिव्हा चटकारे ले ले मज़ा उठाती है,
और मै पचाता हूँ
आपको   क्या बतलाऊं ,मै क्या क्या  भुगतता हूँ
इसलिए जब ज्यादा ही ऐसा अंट  शंट,
 खाने को मिलता है,मेरे मन में पीड़ा होती है ,
और मै  दुखता हूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

सोमवार, 8 अप्रैल 2013

राहुल बाबा की गुहार

          राहुल बाबा की गुहार

मम्मी ,तुम्हारे चमचों ने ,मुझ पर इतना जुलम किया है
बाबा बाबा कहते कहते ,मुझको बाबा   बना दिया  है
मुझको राजपाट दिलवाने ,आगे बढ़ ,डुग डुगी  बजाते
लेकिन नहीं ढूंढते दुल्हन ,दुल्हा राजा मुझे   बनाते
गृहस्थाश्रम की उमर पार करने में बाकी चंद  बरस है
सर के बाल लगे है उड़ने ,मेरी हालत जस की तस  है
बड़े बड़े हो गये भानजे ,जिद करते है ,मामी लाऊं
कैसे मै उनको समझाऊँ ,कैसे निज मन को समझाऊं
इन चमचों के चक्कर में ,मै ,गाँव गाँव भटका करता हूँ
कभी दलित के घर पर खाता ,कभी झोपड़ी में रुकता हूँ
बाबाओं के सभी काम ये  चमचे है मुझसे करवाते
यूं ही बूढा हो जाउंगा ,  ऐसे अपनी   छवि बनाते
मै  तो बड़ा तंग आया हूँ ,पानी पीकर घाट घाट  का
भरमाते है ,मुझे दिखा कर ,सुन्दर सपना राजपाट का
हम तुम जाने ,ये सब चमचे ,केवल मतलब के बन्दे है
मख्खन हमें लगाते रहते ,सत्तालोलुप है ,अंधे है
इसीलिये कृपया मम्मीजी ,अपने लिए बहू ले आओ
सचमुच बाबा ना बन जाऊं ,बाबापन  से मुझे बचाओ
इसी तरह बाबा बन कर के ,जीवन जाता नहीं जिया है
मम्मी तुम्हारे चमचों ने,मुझ पर कितना जुलम किया है

घोटू

रविवार, 7 अप्रैल 2013

शहद का छत्ता

           शहद का छत्ता

राहुल बाबा ने दिया ,बहुत सही सन्देश
छत्ता है ये   शहद का ,    तेरा मेरा देश 
तेरा मेरा देश   और  जनता  मधुमख्खी
बूँद बूँद दे टैक्स  ,शहद  से इसको भरती 
कह 'घोटू' कविराय  और ये सत्ता वाले
शहद चुरा कर सारा ,स्विस बेंकों में डाले
घोटू

ज्वार -भाटा

     लहत तट संवाद -2
       ज्वार -भाटा 
तुम निर्जीव समुन्दर तट हो ,
                 और लहर हूँ ,मै मदमाती
मै ही हरदम,आगे बढ़ कर ,
                मधुर मिलन को,तुमसे आती
 कुछ पल लेते ,बाहुपाश में,
               पी रस मेरा ,   मुझे  छोड़ते         
सचमुच तुम कितने निष्ठुर हो,
               मेरा दिल ,हर बार तोड़ते 
मै ही सदा ,पहल करती हूँ,
                 कभी न बढ़ तुम आगे आये
पहल न करते ,बैठे रहते ,
                  आस मिलन की ,सदा लगाये
तट मुस्काया,हंस कर बोला ,
                 ना  ना ऐसी   बात  नहीं  है
चाव मिलन का ,जितना तुम में,
                  मेरे मन में ,  चाव  वही है
उठता 'ज्वार' तुम्हारे दिल में,
                  तो तुममे उफान आ जाता
और जब आता है 'भाटा 'तो ,
                    मै  नजदीक  तुम्हारे आता   

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   

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