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बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

रास्ता मंजिल का

      रास्ता मंजिल का

तुममे भी जोश था और हम मे भी जोश था,

                        अनजान रास्तों पर ,जब हम सफ़र थे दोनों
ये कर लें,वो भी पालें,सारे मज़े उठा लें,
                         कर लें सभी कुछ हासिल,बस बे सबर थे दोनों
कांटे बिछे है पत्थर,दर दर पे लगे ठोकर,
                             रस्ते की मुश्किलों से,कुछ बे खबर थे दोनों
 खोये थे हम गुमां में,देखा तो इस जहाँ में,
                             कितने भरे समंदर,बस बूँद भर थे दोनों        
एसा जो हमने पाया, धीरज नहीं गमाया,
                            सोये थे अब तलक हम, अच्छा हुआ जो जागे
बेगानी सी दुनिया में,एक दूसरे को थामे,
                              भर कर के जोश दूना,बढ़ने लगे हम आगे
मन में हो लगन तो फिर,कुछ भी नहीं है मुश्किल,
                               थोड़े जुझारू बनके, कर  लोगे  लक्ष्य हासिल
अनुकूल होंगे मौसम,हो साथ सच्चा हमदम,
                                हारो न हौंसला तुम, तुमको  मिलेगी मजिल

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

वरदान चाहिये

             वरदान  चाहिये

हे भगवान्!

द्रौपदी ने माँगा था वरदान,
उसे एसा पति चाहिये,
जो सत्यनिष्ठ हो,
प्रवीण धनुर्धर हो,
हाथियों सा बलवान हो,
सुन्दरता की प्रतिमूर्ति हो,
और परम वीर हो,
 आप एक पुरुष में ,ये सारे गुण,
समाहित न कर सके,इसलिये
आपने द्रौपदी को ,इन गुणों वाले,
पांच अलग अलग पति दिलवा दिये
हे प्रभो,
मुझे ऐसी पत्नी चाहिये,
जो पढ़ी लिखी विदुषी हो,
धनवान की बेटी हो,
सुन्दरता की मूर्ति हो,
पाकशास्त्र में प्रवीण हो ,
और सहनशील हो,
हे दीनानाथ,
आपको यदि ये सब गुण,
एक कन्या में न मिल पायें एक साथ
तो कुछ वैसा ही करदो जैसा,
आपने द्रौपदी के साथ था किया
मुझे भी दिला सकते हो इन गुणों वाली
पांच  अलग अलग  पत्निया
या फिर हे विधाता !
सुना है कुंती को था एसा मन्त्र आता ,
जिसको पढ़ कर,
वो जिसका करती थी स्मरण
वो प्यार करने ,उसके सामने,
हाज़िर हो जाता था फ़ौरन
मुझे भी वो ही मन्त्र दिलवा दो,
ताकि मेरी जिंदगी ही बदल जाये
मन्त्र पढ़ कर,मै जिसका भी करूं स्मरण,
वो प्यार करने मेरे सामने आ जाये
फिर तो फिल्म जगत की,
 सारी सुंदरियाँ होगी मेरे दायें बायें
हे भगवान!
मुझे दे दो एसा कोई भी वरदान   

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

संपर्क

       संपर्क

बहुत जरूरी,इस दुनिया में,है सबसे संपर्क बनाना

संपर्कों से आसां होता है हर मुश्किल काम बनाना
फूलों से संपर्क बनाती मधुमख्खी तब मधु मिलता है
भोर सूर्य की किरण छुए तन,फूल कमल का तब खिलता है
तीली जब संपर्क बनाती  माचिस से तो आग लगाती
स्विच से है संपर्क तार का,तब ही बिजली ,आती जाती
प्रीत,प्रेम का प्रथम चरण है,नयनों से संपर्क नयन का
ये संपर्क बड़ा प्यारा है,मेल करा देता तन मन का
नर नारी के सम्पकों से,जग में आता है नवजीवन
खिलते पुष्प,फलित होते तरु,और महकते सारे  उपवन
सूर्य ताप संपर्क करे जब,सागर जल से,बनते बादल
बादल से जल,जल से जीवन,संपर्कों से ,जगती है चल
काम पड़े दफ्तर में कोई,तो संपर्क काम मे  आते
बरसों से लंबित मसला भी,है मिनटों में हल होजाते
तट भूमि ,उपजाऊ बनती,जब संपर्क बनाती नदिया
मोबाईल पर,बातें करना,संपर्कों का ही ,तो है जरिया
पूजा,पाठ, कीर्तन,साधन,प्रभु संपर्क अगर है पाना
बहुत जरूरी,इस दुनिया में,है सबसे ,संपर्क बनाना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2012

एहसास तेरी नज़दीकियों का


एहसास तेरी नज़दीकियों का सबसे जुड़ा है यारा,
तेरा ये निश्छल प्रेम ही तो मेरा खुदा है यारा |

ज़ुल्फों के तले तेरे ही तो मेरा आसमां है यारा,
आलिंगन में ही तेरे अब तो मेरा जहां है यारा |

तेरे इन सुर्ख लबों पे मेरा मधु प्याला है यारा,
मेरे सीने में तेरे ही मिलन की ज्वाला है यारा |

समा जाऊँ तुझमे, मैं सर्प हूँ तू चन्दन है यारा,
तेरे सानिध्य के हर पल को मेरा वंदन है यारा |

आ जाओ करीब कि ये दूरी न अब गंवारा है यारा,
गिरफ्त में तेरी मादकता के ये मन हमारा है यारा,

समेट लूँ  अंग-अंग की खुशबू ये इरादा है यारा,
नशा नस-नस में अब तो कुछ ज्यादा है यारा |

कर दूँ मदहोश तुझे, आ मेरी ये पुकार है यारा,
तने में लता-सा लिपट जाओ ये स्वीकार है यारा |

पास बुलाती मादक नैनों में अब डूब जाना है यारा,
खोकर तुझमे न फिर होश में अब आना है यारा |

एहसास तेरी नज़दीकियों का एक अभिन्न हिस्सा है यारा,
एहसास तेरी नज़दीकियों का अवर्णनीय किस्सा है यारा |

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2012

पैसा कमाऊं -पर गुरु किसको बनाऊं ?

   पैसा कमाऊं -पर  गुरु किसको बनाऊं ?

इस दुनिया में ,देखा  ऐसा

सारे काम बनाता पैसा
पैसेवाला  पूजा जाता
मेरे मन में भी है आता
मै भी पैसा खूब  कमाऊं
लेकिन किस को गुरु बनाऊँ ?
टाटा,बिरला और अम्बानी
सभी हस्तियाँ,जानी,मानी
सब के सब है खूब  कमाते
पर ये है उद्योग   चलाते
पर यदि है उद्योग  चलाना
पहले पूँजी पड़े  लगाना
मेरे पास नहीं है पैसे
तो उद्योग लगेगा कैसे?
एसा कोई सोचें रस्ता
जो हो अच्छा,सुन्दर,सस्ता
पैसा खूब,नाम भी फ्री  का
धंधा अच्छा,नेतागिरी  का
बन कर भारत  भाग्य विधाता
हर नेता है खूब कमाता
राजा हो या हो कलमाड़ी
सबने करी कमाई गाढ़ी
पर थे कच्चे,नये खेल में
इसीलिये ये गये जेल में
पर कुछ नेता समझदार है
जैसे गडकरी और पंवार है
या कि बहनजी मायावती है
क्वांरी,मगर करोडपति  है
ये सब नेता,मंजे हुए  है
लूट रहे ,पर बचे हुए  है
रख कर पाक साफ़ निज दामन
आता इन्हें कमाई का फन
इन तीनो को गुरु बना लूं
मै इनकी तस्वीर लगा लूं
एकलव्य सा ,शिक्षा  पाऊं
धीरे धीरे खूब  कमाऊं
गुरु दक्षिणा में क्या दूंगा
उन्हें अंगूठा दिखला दूंगा
सीखे कितने ही गुर उनसे
 काम करूंगा  सच्चे मन से
बेनामी कुछ फर्म बनालूँ
रिश्वत का सब पैसा डालूँ
इनका इन्वेस्टमेंट दिखा कर
काला पैसा,श्वेत  बनाकर
बड़ा खिलाड़ी मै बन जाऊं
जगह जगह उद्योग  लगाऊं
या फिर एन. जी .ओ बनवा कर
इनके नाम अलाट करा कर
अच्छी सी सरकारी भूमि
करूं तरक्की,दिन दिन दूनी
रिश्तेदारों के नामो  पर
कोल खदान अलाट करा  कर
कोडी दाम,माल लाखों का
नहीं हाथ से छोडूं मौका
लूट रहे सब,मै भी लूटूं
मै काहे को पीछे छूटूं ?
या फिर जन्म दिवस मनवाऊँ
भेंट  करोड़ों की मै पाऊँ
काले पैसे को उजला कर
अपने नाम ड्राफ्ट  बनवा कर
कई नाम से,छोटे छोटे
करूं जमा मै पैसे  मोटे
या हज़ार के नोटों वाली
माला पहनूं , मै मतवाली
ले शिक्षा,गुरु घंटालों से
बचूं टेक्स के जंजालों से
केग रिपोर्ट में यदि कुछ आया
जनता ने जो शोर मचाया
उनका मुंह  बंद कर दूंगा
जांच कमेटी बैठा  दूंगा
बरसों बाद रिपोर्ट आएगी
भोली जनता ,भूल जायेगी
नेतागिरी है बढ़िया धंधा
कभी नहीं जो पड़ता  मंदा
हींग ,फिटकरी कुछ न लगाना
फिर भी आये रंग सुहाना
नाम और धन ,दोनों पाओ
सत्ता का आनंद  उठाओ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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