एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

भावनाए मेरी भी समझा करो तुम

भावनाए मेरी भी समझा करो तुम

मै समझता हूँ तुम्हारी भावनाएं,

                भावनाएं मेरी भी समझा करो तुम
चाहती हो तुम कि मै तुमको सराहूं
तुम्हारे सौन्दर्य में, मै डूब जाऊं
तुम्हारी तारीफ़ हरदम रहूँ करता,
प्रेम में रत,मै तुम्हारे गीत गाऊँ
मै समझता हूँ तुम्हारी कामनाएं,
                 कामनाएं मेरी भी समझ करो तुम
कर दिया है,जब सभी कुछ तुम्हे अर्पण
प्यार क्यों प्रतिकार में मांगे  समर्पण
एक दूजे के बने हम परिपूरक,
एक दूजे कि प्रतिच्छवी ,बने दर्पण
मै महकता हूँ तुम्हारी सुगंधी से,
                  गंध से मेरी कभी महका करो तुम
मै उमड़ता भाव हूँ,तुम हो कविता
और शीतल चन्द्रमा तुम,मै सविता
कलकलाती बह रही ,आतुर मिलन को,
प्यार का मै हूँ समंदर,तुम सरिता
जिस तरह मै चहकता हूँ तुम्हे लख कर,
               देख मुझको भी कभी चहका  करो  तुम
मै समझता हूँ तुम्हारी भावनाए,
                  भावनाएं मेरी भी समझा करो तुम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रखो ख्याल तुम बुजुर्गों का

रखो ख्याल तुम बुजुर्गों का
--------------------------------
उठालो फायदा जी भर के तुम बुजुर्गों का
ये तो हैं,एक समन्दर भरा ,तजुर्बों  का
प्रेम से जब भी उसमे डुबकियाँ लगाओगे
थोड़े गहरे से ही ,मोती को ढूंढ लाओगे
मिला है साया बुजुर्गों का बड़ी किस्मत से
खजाना भरलो उनकी दुआओं की दौलत से
बड़ी तकदीर से ही साथ मिलता है इनका
इनका साया ओ सर पे साथ मिलता है इनका
ये खुशनसीबी है कि तुमको मिला है मौका
करो सन्मान,रखो ख्याल तुम बुजुर्गों का

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 11 अप्रैल 2012

खाते पीते नेता

खाते पीते नेता

देश के प्रेम की बातें हमें सिखाते है

छेदते है उसी थाली को,जहाँ खाते है
ये जो नेताजी,सीधे सादे से दिखाते है
बड़े खाऊ है,खूब रिश्वतें ये खाते  है
है बिकाऊ,बड़े मंहगे में  बिकाते है
हमने पूछा कि आप इतना पैसा खाते है
फिर भी क्यों  आप सदा भूखे ही दिखाते है
छुपा के ये कमाई,कहाँ पर रखाते  है
हमारी बात सुन,नेताजी मुस्कराते  है
अजी हमारे स्विस कि बेंकों में खाते है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

रानी होती हाइ-कमान, सबसे बढ़ के उसका मान ।

तरह तरह की दिल्ली दीमक, सूखी रूखी गीली दीमक ।

  • Dampwood Termites

    दीमक दर दीवार चाटती 
    सत्ता का दीवान चाटती ।
    बड़ी दिलावर चुपके खुलके 
    तंतु-तंत्र ईमान चाटती ।।

  • drywood termites
    तरह तरह की दिल्ली दीमक 
    सूखी रूखी गीली दीमक ।
    दूर-दूर से चुनकर आती 
    खोका पेटी लीली दीमक ।।
  • formosan termite
    ऊंचे-नीचे सदन विराजे ।
    नौकर सैनिक स्वजन विराजे ।
    निज काया से बढ़कर खाए 
    पांच साल तक तूती बाजे ।।

     
  • subterranean termites
    कागज़ पर जो सजे मसौदे ।
     सौदे करके बने घरौंदे ।
    सैनिक दीमक रंग रूट वे
    खुद अपने बूटों से रौंदें ।।

     
      Picture of Termite vs. Flying Ant 
     
  • उर्वर क्षमता से भर-पूर ।
    रहा कलूटा रानी घूर-
    इक संसर्गी सत्र बीतता-
    न्यू-कालोनी बसी सुदूर ।।

    Termite Queen
    रानी
    रानी होती हाइ-कमान  ।
    सबसे बढ़ के उसका मान  ।
    कालोनी आबाद कराये-
    बढे-चढ़े नित उसकी शान ।। 
है दीमक का सपना एक ।
घर की लक्कड़ अपना केक ।
ललचाई नजरों से ताके -
रानी चले लकुटिया टेक ।
कालोनी की अपनी रानी।
अपने मन की रेल बनानी ।
मृत्यु दंड देती है झट-पट -
करे अगर कोई मनमानी ।। 


छोटी  मोटी खोटी दीमक ।
बड़ी-अड़ी नखरौटी दीमक ।
चारो खम्भों में लग करके-
चाटे बोटी-बोटी दीमक ।

 


सोमवार, 9 अप्रैल 2012

अहमियत-बीबी की

अहमियत-बीबी की

सुबह उठ कर पत्नी को पुकारते है,सुनो चाय लाओ
थोड़ी देर बाद फिर आवाज़,सुनो नाश्ता  बनाओ
क्या बात है ,आज अभी तक अखबार नहीं आया है
जरा देखो तो ,किसी ने दरवाजा  खटखटाया है
अरे आज बाथरूम में ,साबुन नहीं है क्या
और देखो तो,कितना गीला पड़ा है तौलिया
अरे ,ये शर्ट का बटन टूटा है, जरा लगा दो
और मेरे मौजे कहाँ है,जरा ढूंढ के ला दो
लंच के डब्बे में बनाये है ना,आलू के परांठे
दो ज्यादा रख देना,मिस जूली को है भाते
देखो अलमारी पर कितनी धुल जमी पड़ी है
लगता है कई दिनों से डस्टिंग नहीं की है
गमले में पौधे सूख रहे है,क्या पानी नहीं डालती हो
दिन भर करती ही क्या हो बस गप्पे मारती हो
शाम को डोसा खाने का मूड है,बना देना
बच्चों की परीक्षाये आ रही है,पढ़ा  देना
सुबह से शाम तक कर फरमाईशें नचाते है
चैन से सोने भी नहीं देते,सताते है
दिनभर में बीबीयाँ कितना काम करती है
ये तब मालूम पड़ता है जब वो बीमार पड़ती है
एक दिन में घर अस्त व्यस्त हो जाता है
रोज का सारा रूटीन ही ध्वस्त  हो जाता है
आटे दाल का सब भाव पता  पड़ जाता
बीबी की अहमियत क्या है ,ये पता चल जाता

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-