प्रभु सिमरन
जीवन में जब विपदा आये ,तुम प्रभु का नाम सुमर लेना
सच्ची श्रद्धा से निज मन को ,तुम भक्ति भाव से भर लेना
करुणा निधान ,भगवान प्रभु सब कष्ट निवारण कर देगा
सुख सारे ,खुशियां ही खुशियां
तेरी झोली में भर देगा
वह हरण कर रहा सबके दुख ,
तब ही तो हरी है कहलाता
अन्न जल सारे जग को देता
जग में सबसे ऊंचा दाता
प्राण दायिनी वायु बनकर
वह प्राण सभी में है भरता
सूरज बनकर ऊर्जा देता
और जग को है रोशन करता
वह ही बन कर के इंद्रदेव
करवाता जल की बरसाते
उसके कारण हरियाली है
हैं पुष्प महकते मुस्कुराते
वह परमपिता परमात्मा है
उसकी झोली है सदा भरी
श्रद्धा से पुकारा जिसने भी
उसने उनकी है पीर हरी
गज ,ग्राह के मुख से छुड़वाया
प्रहलाद अगन से बचवाया
संकट आया जब भक्तों पर
नंगे पांव ,दौड़ा आया
सच्चे मन भाव लगन से झुक
जो उसकी शरण में है जाता
उसके सब संकट कट जाते
बिन मांगे सब कुछ पा जाता
मदन मोहन बाहेती घोटू