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मंगलवार, 30 जून 2020
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एक दिन अचानक ,
मेरे मन में कुछ ऐसा ख्याल आया
मैंने अपने कुछ बुजुर्ग दोस्तों को ,
अपने घर चाय पर बुलाया
नाश्ता कराया और थोड़ी देर गप्पें मारी
बातें की ,दुनिया भर की ,सारी
याद दिलाये जवानी के जलवे ,
और बुढ़ापे की पीड़ा
फिर उनकी दुखती रग टटोलते हुए पूछा ,
क्या अभी भी कभी कभी ,
काटता है मोहब्बत का कीड़ा
जरा बतलाओ अपने मन की बात
अगर कोई जवान सुंदरी ,
आपके आगे रखे प्रेम प्रस्ताव ,
तो क्या होंगे आपके हालात
मेरा यह प्रश्न सुन मेरे कुछ मित्र तो ,
एक दम भौंचक्के से रह गए
कुछ घबराये ,कुछ शरमाये ,
कुछ भावना में बह गए
कुछ की हालत हो गयी ठगी की ठगी
और किसी की तो लार ही टपकने लगी
बोले क्यों फालतू में ललचाते हो
यूं ही मीठे मीठे सपने दिखाते हो
लड़की अगर सुन्दर है और जवान है यार
तो उसके पीछे तो नौजवानो की लगेगी कतार
वो क्यों हम जैसे किसी बूढ़े से करेगी प्यार
जो है साठ के पार
हम बोले आपकी शंका वाजिब है ,
आप सही फरमाते है
पर कुछ औरतों को ,
नए सिख्खाड़ों की बनिस्बत ,
अनुभवी लोग ही सुहाते है
पका हुआ पान
न खांसी ,न जुकाम
अब हेमामालिनी को ही देखलो ,
उसके लिए क्या लड़को की थी कमी
पर वो शादीशुदा धर्मेंद्र की दुल्हन बनी
श्रीदेवी जैसी सुंदरी और हूर
उसको भी भाये विवाहित बोंनी कपूर
फ़िल्मी दुनिया में तो है ये ट्रेंड
सबको चाहिए अनुभवी फ्रेंड
ये सब तो दुनिया में होता ही रहता है
अगर आपके साथ हो ,तो आप क्या करेंगे ,
आपका मन क्या कहता है
अच्छा आप ही बतलाओ गुप्ता जी ,
आप तो गुप्त ज्ञान में माहिर है
आपकी आशिकमिजाजी जगजाहिर है
बताएं ,ऐसे में आप क्या बोलेंगे
गुप्ताजी हिचकिचाये फिर,
गहरी सांस लेकर बोले ,बोलेंगे क्या ,
हम तो बहती गंगा में हाथ धोलेंगे
उनकी बात सुन ,बाकी मित्रों में ,
कुछ का आत्मविश्वास जगा
उन्होंने हिचकिचाहट को दिया भगा
एक ने टोका
इस उम्र में किस्मतवालों को ही,
मिलता है ऐसा मौका
अगर लड़की जेन्युइन है और नहीं करेगी धोखा
तो फिर हम भी उसे क्यों तरसायेंगे
बादल बन के बरस जाएंगे
दूसरे ने कहा सच है यार
ऐसे मौके कहाँ मिलते है बार बार
यूंही मन इधर उधर ताकता दौड़ता है
और जब चिड़िया खुद ही फंस रही है ,
तो ये सुनहरा मौका कौन छोड़ता है
तीसरे ने भी हाँ में हाँ मिलाई
बोले जब किस्मत ने ही है अप्सरा भिजवाई
तो हम क्यों करेंगे रुसवाई
झट से चट कर लेंगे दूध और मलाई
चौथे ने कहा यार बात तो है भली
मचा रही है मेरे दिल में खलबली
सूखती बगिया में जब खिली है कोई कली
और अपनी खुशबू फैला रही है
खुद भवरे को बुला रही है
तो हम क्या साले बेवकूफ है ,
जो यूं ही चुप बैठ जाएंगे
निश्चित ही उसके रसपान का आनंद उठायेंगे
पांचवां जो चुप था ,सहमा सहमा बोला
यार ऐसे ऑफर मिलने पर ,
सबका मन करता है डोला
पर क्या आपने सोचा है ,
आप बूढ़े है और वो जवान है
वो आपके पास आयी है
तो उसके भी कुछ अरमान है
वो दहकती हुई आग है ,
आप है बुझती हुई चिंगारी
निश्चित ही वो पड़ेगी आप पर भारी
वो जवानी वाला जोश कहाँ से लाएंगे
वो दहकती रहेगी और आप बुझ जाएंगे
एक अतृप्त औरत ,
क्या क्या गुल खिला सकती है
उर्वशी की तरह आपको ,
अर्जुन सा निकम्मा बना सकती है
इसलिए जिसको जो भी करना है ,
सोच समझ कर करना चाहिये
और मुद्दे की बात ये है कि
हमें अपनी बीबी से डरना चाहिए
किसी ने दाना डाला ,
और आपने पका लिए पुलाव ख़याली
और भूल गए बड़ी तेज ,
नाक वाली होती है घरवाली
जो आप जैसे भी हो ,
आपके साथ निभा रही है
आपकी गृहस्थी चला रही है
अगर उसे खबर लग गयी तो
घर में आजायेगा भूचाल
कल्पना करलो ,कैसा होगा हाल
ये सब तो ललचानेवाली बातें है
जिन्हे सोच कर हम मन बहलाते है
वरना इस उम्र में भूल जाओ गर्म बिरयानी
हमें तो घर की दाल रोटी ही है खानी
पांचवे की बात सुन सबके उड़ गए होश
ख़त्म हो गया सारा जोश
सभी पर गम के बादल छागये
अभी तलक जो उछल रहे थे ,
सब अपनी औकात पर आगये
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सोमवार, 29 जून 2020
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अगर जो दोस्ती करनी ,मिलाना हाथ पड़ता है
दुश्मनी जो निभानी तो ,दिखाना हाथ पड़ता है
हाथ पर हाथ रख करके ,बैठने से न कुछ होता ,
काम करना है आवश्यक ,हिलाना हाथ पड़ता है
पकड़ कर हाथ लो फेरे ,जनम भर का बंधे बंधन
खुले हाथों करो खरचा ,खतम पैसे तो हो निर्धन
मिलाकर हाथ ,सबके साथ ,चलने में बसी खुशियां ,
तुम्हारे हाथ में ये है ,जियो तुम किस तरह जीवन
तुम्हारे हाथ की रेखा , तुम्हारे भाग्य की रेखा
जब उठते हाथ,आशीर्वाद,मिल जाता है अपने का
जोड़ते हाथ है जब हम ,नमस्ते है ,स्वागत है ,
हिला कर हाथ ,लोगों को ,बिदा करते हुए देखा
हुनर हाथों में होता है ,कलाकृतियां बना देते
जो हो हाथों में बाहुबल ,विजय श्री आपको देते
प्यार में बाहुबंधन भी ,इन्ही हाथों से बंधता है ,
सहारा हाथ ये देते और गिरतों को उठा लेते
हाथ देते है ,लेते है ,मचलते है ,फिसलते है
नहीं जब हाथ कुछ लगता ,लोग जल हाथ मलते है
किसी के हाथ में मेंहदी ,किसी के हाथ पीले है ,
खनकती हाथ में चूड़ी , अदा से जब वो चलते है
फरक मानव पशु में ये ,मनुज के हाथ होते है
बजाते तालियां ,खुशियों में हरदम साथ होते है
कमा ले करोडो ,इंसान दुनिया छोड़ जब जाता ,
नहीं कुछ साथ ले जाता ,बस खाली हाथ होते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सत्तारूढ़ कोई भी दल हो
यही चाहते ,सदा विफल हो
तोड़फोड़ कर कोशिश करते ,
जैसे तैसे वो निर्बल हो
हरदम रहते इस तलाश में
कोई मुद्दा लगे हाथ में
नहीं चैन से बैठ सकें हम ,
उलझे रहते खुराफात में
जब भी थोड़ा मौका पाते
सत्ता सर सवार हो जाते
बुला प्रेस टीवी वालों को ,
हाय तोबा बहुत मचाते
मौसम का रुख देखा करते
तब ही पासे फेंका करते
कैसे भी माहौल गरम कर ,
अपनी रोटी सेंका करते
आरोपों प्रत्यारोपों में ,
हम प्रवीण है ,बड़े दक्ष है
हम विपक्ष है
हमने भी भोगी है सत्ता
किन्तु कट गया जबसे पत्ता
नहीं पूछता अब कोई भी ,
हालत खस्ता है, अलबत्ता
इसीलिये है हम चिल्लाते
टी वी ,पेपर में दिखलाते
ताकि बने रहे चर्चा में ,
लोग यूं ही ना हमें भुलादे
सत्तादल से लेते पंगा
बात बात में अड़ा अड़ंगा
खोल हमारी करतूतों को ,
वो जब हमको करते नंगा
ऐसे दिन आये है ग़म के
सूखे श्रोत सभी इनकम के
चलती जब सत्ता की खुजली ,
हम रहते है दमके दमके
कैसे फिर हथियायें सत्ता ,
अपना तो बस यही लक्ष है
हम विपक्ष है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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रविवार, 28 जून 2020
कोरोना से छाये है दहशत के बादल
बारिश में घिरआये बादल के दल के दल
सीमा पर जमा हुए ,फौजों के दल के दल
दुनिया पर मंडराते ,विश्वयुद्ध के बादल
बार बार भूकम्पों से धरती रही दहल
ऊपर से खेतों में आ बैठा टिड्डी दल
चंद राजनैतिक दल ,दाल रहे अपनी दल
फैलाते आरोपों का कीचड और दल दल
एक साथ इतने सब ,संकट का ये दल दल
दिल में डर.नहीं बदल सकता पर भाग्य प्रबल
मदन मोहन बाहेती ;घोटू ;
शुक्रवार, 26 जून 2020
【SEAnews:India Front Line Report】June 24, 2020 (Wed) No. 3943
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हे उच्चवर्ग के निम्न स्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
तुम्हारी मरी हुई गैरत ,
तुम्हे पुकार रही है
किसी की चमचागिरी से ,
अगर थोड़ा सा लाभ जो मिल जाए
तो अपना जमीर ही बेच दे
क्या आदमी इतना गिर जाए
तुम्हारे इस तरह के व्यवहार से ,
होती है हमें शर्मिंदगी
क्या इस तरह से ही तलवे चाट कर ,
जी जाती है जिंदगी
क्या मज़ा आता है तुम्हे ,
इधर की उधर लगाने में
क्या सुख मिलता है तुम्हे ,
एक दूसरे को लड़ाने में
तुम बड़े भोले बनते हो ,
पर लोग तुम्हे जान गए है
शेखी बघारना छोड़ दो ,
सब तुम्हे पहचान गए है
तुम्हारी दिखती तो ऊंची दूकान है
पर पकवान बड़े फीके है
अपना मतलब निकालने के लिए ,
तुम्हारे बड़े घटिया तरीके है
अपनी करतूतों से बाज आओ ,
जो करती तुम्हे शर्मसार रही है
हे उच्चवर्ग के निम्नस्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बहुत थी हसरतें मन में ,यहाँ जाऊं ,वहां जाऊं
खरीदूं सारी दुनिया को ,यहाँ खाऊं ,वहां खाऊं
चाह थी देख लूं दुनिया ,मगर कर पाया ना ऐसा
रह गयी दिल की सब दिल में,नहीं था पास में पैसा
उमंगों को लग गए पर ,करी जी तोड़ कर मेहनत
जवानी भर ,इसी धुन में ,बिगाड़ी अपनी सब सेहत
पास में आज पैसा है ,कमा ली ढेर सी दौलत
करूं सब शौक अब पूरे ,नहीं इतनी बची हिम्मत
बुढ़ापा आगया है अब ,कई तकलीफ़ ने घेरा
कई बीमारियों ने आ ,मेरे तन पर किया डेरा
रही ना हसरतें मन में ,बची ना है कोई ख्वाइश
गयी जब सूख फसलें तो भला किस काम की बारिश
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
गुरुवार, 25 जून 2020
कर दिये इस बुढ़ापे में ,पस्त इतने हौंसले है
ऐसा लगता हम हमारी , शख्सियत ही खो चले है
पीर दिल की छुपाने को ,हंसी हँसते खोखली है ,
सच मगर ये, दर असल में ,हो गये हम खोखले है
अपनों की रुसवाइयाँ है ,काटती तन्हाईयाँ है ,
कभी रौनक थी जहाँ पर ,पड़े सूने घोसले है
नींदभी आती नहीं है ,ख्वाब भी आते नहीं है ,
समंदर में यादों के बस ,हुआ करती हलचलें है
ठीक से चल नहीं पाते ,फूलने लगती है साँसें ,
जिंदगानी के सफर में ,भले हम मीलों चले है
भूलने की बिमारी का ,असर इतना हो गया है ,
भूल जाते हैं हम अक्सर ,पार सत्तर हो चले है
भावनाओं ने फंसाया ,नहीं छूटी मोह माया ,
छोड़ गुड़ हमने दिया पर ,नहीं छूटे गुलगुले है
आप माने या न माने ,बुढ़ापे की ये हक़ीक़त ,
सिर्फ बीबी साथ देती ,आप वरना ऐकले है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
१
यह द्वापर की बात है ,जब गोकुल के पास
एक कालिया नाग का ,था यमुना में वास
था यमुना में वास ,किया था जल जहरीला
उसको बस में किया कृष्ण ने ,दिखला लीला
करी नागिनों ने विनती ,कर फन पर नर्तन
प्राण दान दे ,किया समंदर में निष्कासन
२
वही भयंकर विषैला ,दुष्ट कालिया नाग
गया समंदर तैरता ,चीन देश को भाग
चीन देश को भाग ,बन गया चीनी ड्रेगन
जहरीले कर दिये वहां के लोगों के मन
फिर फुंकार रहा है ,करने उसका मर्दन
भारत का हर सैनिक तत्पर है कान्हा बन
मदन मोहन बाहेती ;घोटू '
रविवार, 21 जून 2020
हमने अपनी जिन आँखों से ,देखा है चंदा का आनन,
अपनी उन आँखों से क्यों कर ,हम ग्रसता सूरज देखेंगे
जिन आँखों में बसी हुई है ,चंदा की सुन्दर मादक छवि ,
अपनी उन शीतल आँखों से ,क्यों जलता सूरज देखेंगे
चंदा का प्यारा चेहरा तो ,बसा हमारी आँखों में है ,
इसीलिए तो आसमान में ,चंदा चमकेगा आज नहीं
उसकी यादों में क्षीण हुआ ,सूरज तम से ढक जाएगा ,
दे स्वर्ण मुद्रिका उसे पटा लेगा ,करता नाराज नहीं
सूरज पर चंदा की छाया ,कैसी प्रकृति की लीला है ,
जैसे बाहों के बंधन में ,चंदा और सूरज देखोगे
कल सुबह पुनः हम प्राची से ,ले वही सुनहरी सी आभा ,
वो ही हँसता मुस्काता सा ,प्यारा सा सूरज देखेंगे
घोटू
आज का दिन ,योग का दिन
और भगाओ रोग का दिन
स्वस्थ हो तन खुश रहे मन
ये कई संयोग का दिन
आज है संगीत का दिन
मधुर स्वर और गीत का दिन
तार दिल के करे झंकृत ,
प्रीत और मनमीत का दिन
आज दिन सूरज ग्रहण है
सूर्य घटता ,हरेक क्षण है
ग्रसित होकर लुप्त होगा ,
पायेगा फिर नवजीवन है
आज दिन 'फादर 'स डे 'है
आज हम जो कुछ बने है
वंदना उस जनक की है ,
जिनका आशीर्वाद ये है
आज है सबसे बड़ा दिन
देखलो कितना चढ़ा दिन
आज 'सेल्फी 'का दिवस है
कैमरा लेकर खड़ा दिन
घोटू
शुक्रवार, 19 जून 2020
मोहतरमा से हुई मोहब्बत ,मोह जाल में उलझ गया
गाल गुलाबी ,तिरछी नज़रें ,अधर लाल में उलझ गया
'घोटू 'इस फेरे में फंस कर ,उन संग फेरे सात लिये ,
बैल बन गया मैं कोल्हू का ,रोटी दाल में उलझ गया
उनसे आँखें चार हुई क्या ,चार दिनों के जीवन में
कैसे पैसे चार कमाऊं ,इस सवाल में उलझ गया
संगदिल के संग,दिल मिलने की,ऐसी मुझको मिली सजा
रंग ढंग बदल गया जीवन का ,तंगहाल में उलझ गया
तेज बड़ा ही धार दार होता हथियार ,हुस्न का है ,
उसकी मादक मार सुहाती ,यार प्यार में उलझ गया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
गुरुवार, 18 जून 2020
संकट तो है आते जाते
करे सामना ,हम मुस्काते
शीतकाल में ठिठुरा करते
हो जब ग्रीष्म ,तपन से डरते
बारिश शीतल जल बरसाती
पर ज्यादा हो ,नहीं सुहाती
लाती बाढ़ ,अधिक बरसाते
संकट तो है आते जाते
रोज रोज ,कुछ ना कुछ होना
कल तक फ्लू था ,आज करोना
फ़ैल रहा यह दुनिया भर में
दहशत सी फैली घर घर में
बुरी बला से सब घबराते
संकट तो है आते जाते
बार बार और जगह जगह पर
धरती काँप रही रह रह कर
उठती मन में आशंकायें
बड़ा जलजला ना आ जाये
बुरे ख्याल है हमें जगाते
संकट तो है आते जाते
सीमाओं पर चीनी ड्रेगन
है फुंकारता,उठा रहा फ़न
पकिस्तान ,उधर आतंकी
रोज रोज देता है धमकी
विपदा के बादल मंडराते
संकट तो है आते जाते
परिस्तिथियाँ बड़ी विकट है
सभी तरफ संकट संकट है
इनको है जो अगर थामना
हम हिम्मत से करें सामना
साहसी सदा ,विजयश्री पाते
संकट तो है आते जाते
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
कालिया नाग नचाने वाले ,ड्रेगन को भी नचायेंगे
चंद मिसाइल बना लिए क्या जिनके बल तू ऐंठा है
चिन्दी क्या पा ली चूहे ने , तू बजाज बन बैठा है
बार बार पंगे लेता है ,बड़ी बुरी ये आदत है
ये उन्नीस सौ बांसठ का ना ,ये मोदी का भारत है
चीनी के बर्तन के जैसा ,तुमको तोड़ दिखायेंगे
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
बाज आओ अपनी हरकत से,वर्ना तुम पछताओगे
हमसे जो टकराओगे तो चूर चूर हो जाओगे
गलवान ना ,माँद शेर की ,में तुमने सर डाला है
ये मत भूलो ,अबकी बार ,पड़ा मोदी से पाला है
हम चीनी की बना चाशनी ,डुबा जलेबी खायेंगे
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
मुख में राम ,बगल में छुरी का चरित्र तुम्हारा है
तुमने कोरोना फैला कर ,कितनो को ही मारा है
छोडो चलना चाल, तुम्हारा बुरा हाल हम कर देंगे
ईंट अगर फेंकोगे तुम ,हम उत्तर में पत्थर देंगे
जिनपिंग,पिंगपांग खेलोगे ,नानी याद दिलायेंगे
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बुधवार, 17 जून 2020
प्रभु ने रचा एक भूमण्डल ,माटी पत्थर ,जल भर कर
गोलमोल है,घूम रहा ,वो भी टेड़ा ,निज धुरी पर
फैली कहीं घनी हरियाली ,और कहीं है मरुस्थल
सर्दी गरमी ,बारिश सूखा ,चलता ऋतुओ का चक्कर
खड़े पहाड़ और भरे समंदर ,नदियां ,नाले बहते है
ईश्वर की इस अनुपम कृति को हम सब दुनिया कहते है
ये सब तो है भौतिक दुनिया ,एक मानसिक है दुनिया
तेरी मेरी उसकी इसकी ,सबकी अलग अलग दुनिया
मेरी बीबी , घर बच्चे है ,यह मेरी अपनी दुनिया
तेरी बीबी , घर बच्चे है यह तेरी अपनी दुनिया
इतने ज्यादा आत्म केन्द्रित ,कि बस मैं ,मेरी मैना
सब अपनी दुनिया में सिमटे ,फिर दुनिया से क्या लेना
परिवार मेरा, मेरा घर ,मेरा पैसा , और इज्जत
जाते भूल , जिंदगी जीने ,प्रभु की दुनिया आवश्यक
वो ही हमको देती है जल ,वृक्ष दे रहे ऑक्सीजन
खाने को फल ,धान्य दे रही ,जिनसे चलता है जीवन
और बसाने अपनी दुनिया ,हम वृक्षों को काट रहे
रची प्रभु ने है जो दुनिया ,कर उसको बरबाद रहे
ये मत भूलो ,जब तक ये दुनिया ,तब तक अपनी दुनिया
इस दुनिया का ख्याल रखो ,ये तो है हम सबकी दुनिया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सारी फुर्ती फुर्र हो गयी ,आलस ने डाला डेरा
कोरोना की कोपदृष्टी से ,बैठ गया भट्टा मेरा
सारा बेड़ा गर्क कर दिया ,ऐसा मारा मंदी ने
कामों पर कस दी लगाम ,इस लम्बी तालाबंदी ने
कोई सांप सा सूंघ गया हो ,ऐसी मन में दहशत है
हुये हौसले पस्त बची ना ,थोड़ी सी भी हिम्मत है
लकवा जैसा मार गया है ,जोश गया पानी लेने
मालगाड़ी की चाल चल रही ,थी जो एक्सप्रेस ट्रेने
हर कोई है ख़ौफ़ज़दा और सहमा सहमा सा मन में
कभी कल्पना भी ना थी वो हुआ हादसा जीवन में
बार बार भूकंप आ रहे ,सीमा पर हड़कंप मचा
किये गुनाह कौनसे हमने ,जिनकी मिलती हमें सजा
पिछले तीन माह में हमको,क्या क्या ना दिखलाया है
हे प्रभु क्या है तेरे मन में ,ये तेरी क्या माया है
तूफानों में नाव हमारी डगमग डगमग भटक रही
तू ही इसको पार लगा दे ,बता रास्ता सही सही
या फिर ले अवतार ,मिटा दे ,कोरोना की हस्ती को
पहले सा खुशहाल बना दे नगर ,गाँव हर बस्ती को
बन प्रकाश आलोकित पथ कर,अन्धकार ने है घेरा
फुर्र हुई फुर्ती फिर आये ,हो उपकार अगर तेरा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मंगलवार, 16 जून 2020
प्रार्थना श्री हनुमान जी से
चौपाई
जय हनुमान अंजनी नंदन
हाथ जोड़ हम करते वंदन
तुम हो अतुलित बल के स्वामी
कृपा करो प्रभु ,अन्तर्यामी
परम भक्त तुम श्री राम के
हर विपदा में सदा काम के
तुमने मारा अहिरावण को
छुड़ा लाये तुम रामलखन को
पहाड़ उठा संजीवनी लाये
लक्ष्मण जी के प्राण बचाये
सीताहरण किया रावण ने
उसका पता लगाया तुमने
लांघ समुन्दर ,पहुंचे लंका
बजा दिया निज बल का डंका
रोकी सुरसा ,राह ,भयंकर
घुसे मुंह में ,लघु रूप धर
अंदर जा निज तन विस्तारा
इस विधि था सुरसा को मारा
हनुमन,आज वो ही सुरसा मुख
फैला रहा कोरोना, दे दुःख
हे प्रभु आप चिरंजीवी हो
आओ ,प्रकटो ,जहाँ कहीं हो
सूक्ष्म रूप धर ,हे हनुमंता
बनो आप कोरोना हंता
अंत करो तुम इस राक्षस का
काम आपके ही ये बस का
हे बजरंग बली ,महावीरा
दूर करो भक्तन की पीड़ा
कोरोना संहार करो प्रभु
हम सब पर उपकार करो प्रभु
दोहा
लाल देह ,लाली लसे ,महाबली हनुमंत
सुरसा जैसा कीजिये ,कोरोना का अंत
सेवक -मदन मोहन बाहेती 'घोटू 'रचित
विशेष प्रार्थना संपन्न
सोमवार, 15 जून 2020
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Regards
Charlsie Chavers
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सारी फुर्ती फुर्र हो गयी आलस ने डाला डेरा
कोरोना की कोपदृष्टी से ,बैठ गया भट्टा मेरा
सारा बेड़ा गर्क कर दिया ,ऐसा मारा मंदी ने
कामो पर कसदी लगाम,इस लम्बी तालाबंदी ने
लकवे जैसा मार गया कुछ ,जोश गया पानी लेने
मालगाड़ी की चाल चल रही थी जो एक्सप्रेस ट्रेने
कोई सांप सा सूंघ गया है ,ऐसी मन में दहशत है
हुये हौंसले पस्त, बची ना ,थोड़ी सी भी हिम्मत है
हर कोई है खौफ़जदा और सहमा सहमा सा मन में
कभी कल्पना भी ना थी वो, हुआ हादसा जीवन में
बार बार भूकम्प आरहे ,सीमा पर हड़कंप मचा
किये गुनाह कौनसे हमने ,जिनकी मिलती हमें सजा
पिछले तीन माह में हमको ,क्याक्या ना दिखलाया है
हे प्रभु क्या है ,तेरे मन में ,ये तेरी क्या माया है
तूफानों में ,फसी नाव है ,डगमग डगमग भटक रही
तू ही इसको पार लगा दे ,दिखा रास्ता ,सही सही
या फिर ले अवतार मिटा दे ,कोरोना की हस्ती को
पहले सा खुशहाल बना दे ,नगर ,गाँव हर बस्ती को
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '