पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
काव्य संसार (फेसबुक समूह)
काव्य संसार (फेसबुक पृष्ठ)
हिंदी
मेरा फेसबुक पृष्ठ
ब्लॉग"दीप"
चर्चा मंच
नयी पुरानी हलचल
मेरा काव्य-पिटारा
▼
बुधवार, 4 दिसंबर 2024
सपना
›
गांव भरा था लोगों से। लहलहा रहे थे खेत। हर आंगन में गाय बंधी थी। बैल बंधे थे धवल सफेद। कुछ घरों में मुर्रा भैंसें। खड़ी हुई थी खाती घास...
सोमवार, 25 नवंबर 2024
›
ल वह बहन हमारी चली गयी जो सबकी बड़ी दुलारी थी हम भी बहन की प्यारी थी धार्मिक थी ,पर उपकारी थी वह बहन हमारी चली गयी थी समझदार,सुलझे...
गुरुवार, 29 अगस्त 2024
›
मेरी बीबी, मेरी बीबी मेरी बीबी,मेरी बीबी, बड़ी ही प्यारी बीबी है मैं उसका प्यारा शौहर हूं यह मेरी खुशनसीबी है बड़ा ही स्वीट है नेचर मिलत...
1 टिप्पणी:
›
बुढ़ापे का कम्युनिकेशन इस बढ़ती हुई उम्र में यूं , कम हुआ हमारा कम्युनिकेशन कुछ गला हमारा बैठ गया , कुछ तुम भी ऊंचा सुनने लगे पहले जब भी ...
1 टिप्पणी:
सोमवार, 12 अगस्त 2024
›
बूढ़े बुढ़िया और बुढापा देखो बूढ़ा अपनी बुढ़िया , को किस तरह सताता है काम धाम कुछ भी ना करता, केवल जुबां हिलाता है जब से हुआ रिटायर घर मे...
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें