पृष्ठ

मंगलवार, 4 अगस्त 2015

हम दोनों-दिल्लीवाले

      हम दोनों-दिल्लीवाले
                   १
क़ाबलियत से ज्यादा,कोई जब पा जाता ,
         पचा नहीं पाता है और पगला जाता है
गर्व से फूल फूल,हैसियत जाता भूल,
         हरकतें ऊल जलूल ,करता कराता है
उससे भी बुरा हाल ,उसका भी होता है,
         सत्ता से जिसका कि पत्ता कट जाता है
पाकर जो बौराता ,कहलाता केजरीवाल,
       खोकर जो बौराता ,राहुल कहलाता  है
                      २
एक लड़े एल जी से ,एल लड़े मोदी से ,
              एक पोस्टर लगवाता,एक करता हंगामा
दोनों ही बेमिसाल ,दोनों का बुरा हाल,
              दोनों ही रोज रोज ,करते है कुछ ड्रामा
एक सत्ता पा पागल,एक सत्ता खो पागल ,
              एक असर,उल्टा पर,दोनों का अफ़साना
तेल तिलों में कितना ,प्यार दिलों में कितना ,
               जनता के खातिर है,जनता ने अब जाना

''घोटू'   
                       

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।