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रविवार, 6 अप्रैल 2014

गिरी का बब्बर शेर दहाड़ेगा दिल्ली दरबार में

        गिरी का बब्बर शेर दहाड़ेगा दिल्ली दरबार में

दीवारों  के साथ लिखा है दिल पर अबकी बार में
गिरी का बब्बर शेर दहाड़ेगा ,दिल्ली दरबार में
 
 बहुत खा लिया धोखा हमने ,और नहीं अब खायेंगे
जिनने बहुत कमीशन खाया ,अब वो मुंह की खायेंगे
अक्षम ,बेईमान लोग अब ,वोट न हमसे पाएंगे
बहुत चपत खा चुके हाथ से ,अबके कमल खिलाएंगे
 बार बार लकड़ी की हांडी ,ना  चढ़ती  अंगार  में
गिरी का बब्बर शेर दहाड़ेगा दिल्ली दरबार   में
 
बहुत बरस हमको भरमाया,मीठी मीठी बातों से
क्या क्या सपने दिखलाये थे,लम्बे लम्बे वादों से
मंहगाई ने कमर तोड़ दी,दुखी आम इंसान हुआ  ,
भला देश का नहीं हुआ कुछ ,सत्ता के शहजादों से
वरना देश हमारा होता,नंबर वन ,संसार में
गिरी का बब्बर शेर दहाड़ेगा दिल्ली दरबार में

लेकिन वक़्त आगया है अब ,गिन गिन हम बदला लेंगे
कितनी ताक़त है वोटों में ,सबको हम जतला देंगे
गुंडे,बेईमान न कोई ,सत्ता पर काबिज होंगे ,
हम सुराज का सपना अपना, सच करके दिखला देंगे
 कोई भ्रष्ट ,नहीं आ  पायेगा ,अबकी  सरकार में
गिरी का बब्बर दहाडेगा ,दिल्ली दरबार में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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