पृष्ठ

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

वर्ना .................?

  वर्ना .................?
नए वर्ष की नयी सुबह,
दिल्ली में सूरज नहीं निकला
शायद  वह ,दिल्ली में ,
देश की एक बेटी के साथ ,
कुछ दरिंदों द्वारा किये गए ,
बलात्कार से लज्जित था
या शायद,
देश के नेताओं की सुस्त प्रतिक्रिया ,
और व्यवहार से लज्जित था
या शायद ,
दामिनी की आत्मा ने ऊपर पहुँच कर,
उससे कुछ प्रश्न किये  होंगे,
और उससे कुछ जबाब देते न बना होगा ,
तो उसने कोहरे की चादर  में,
अपना मुंह छुपा लिया होगा
क्योंकि अगर सूरज दिल्ली का नेता होता ,
तो बयान  देता,
ये घटना उसके अस्त होने के बाद हुई,
इसलिए इसकी जिम्मेदारी चाँद पर है
उससे जबाब माँगा जाय   
और यदि उससे यह पूछा जाता कि ,
क्या दिन में ऐसी  घटनाएं नहीं होती ,
तो शायद वो स्पष्टीकरण देता ,
कि  जब बादल उसे ढक  लेते है,
तब ऐसा हो जाता होगा
सब अपनी जिम्मेदारी से,
कैसे कैसे बहाने बना ,
बचने की कोशिश करते रहते है  
और दामिनियोन  की अस्मत लुटती रहती है
पर अब जनता का आक्रोश जाग उठा है ,
बहाने बनाना छोड़ दो ,
थोडा सा डरो ,
और कुछ करो
वरना .............?
मदन मोहन बहेती'घोटू'

1 टिप्पणी:

  1. मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
    आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।

    बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
    शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।

    रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
    सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।