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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

जवानी पर,चढ़ गयी है सर्दियाँ

 जवानी पर चढ़ गयी है सर्दियां

रात की ठिठुरन से बचने, भूल सब शिकवे ,गिले
शाम ,डर  कर,उलटे पैरों,दोपहर  से जा  मिले
ओढ़ ले कोहरे की चादर ,धूप ,तज अपनी अकड़
छटपटाये चमकने को ,सूर्य पीला जाये     पड़ 
हवायें जब कंपकंपाये ,निकलना मुश्किल करे
चूमने को चाय प्याला ,बारहां जब दिल करे
जेब से ना हाथ निकले ,दिखाये कन्जूसियाँ
पास में बैठे रहे बस ,लगे मन  भाने  पिया
लिपट तन से जब रजाई ,दिखाये हमदर्दियाँ
तो समझ लो ,जवानी पर,चढ़ गयी है सर्दियाँ
घोटू

1 टिप्पणी:

  1. सीत ऋतु के सीतल कन..,
    नव यौवन आरोह..,
    रैनि रैनि रज सित किरन..,
    तरंगन रँगन लोह.....

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