एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

रावण की पीड़ा 


कल रावण मेरे सपने में आया 

परेशान था और झल्लाया 

बोले में रावण हूं 

दुनिया में नंबर वन हूं 

मेरे पास अतुलित दौलत है 

बाहुबली हूं ,मुझ में ताकत है 

कोई मुझसे मेरे हथियारों के कारण डरता है 

कोई मुझसे मेरे स्वर्ण भंडारों के कारण डरता है 

मेरे वर्चस्व को सब मानते हैं 

और जो नहीं मानते मेरी, वे बैर ठानते हैं मैं उन्हें तरह-तरह से करता हूं प्रताड़ित 

अपनी पूरी शक्ति से करता हूं दंडित 

फिर भी कुछ राम और हनुमान 

मेरी धमकियों पर नहीं देते हैं ध्यान 

मेरी बातों को करते हैं अनसुना 

मैं उन पर टैरिफ लगा देता हूं चौगुना लोग कहते हैं अपने अहम के बहम में पगला गया हूं 

पर कुछ दोस्त मेरी बात नहीं सुनते,

 मैं उनसे तंग आ गया हूं 

उनके देश में गांव-गांव और शहरों में हर साल 

मेरे पुतले जलाकर मनाया जाता है दशहरे का त्यौहार 

देखो कैसा अमानवीय है उनका व्यवहार पिछले कई सालों से नहीं है यातना भुगतता चला आ रहा हूं 

प्रतिशोध की आग में जला जा रहा हूं फिर भी मौन और शांत हूं ,

ना कोई बदला है ना प्रतिकार 

अब आप ही बतलाइए ,क्या मैं नहीं हूं शांति के नोबेल प्राइज का हकदार 

कई देशों के बीच हो रही थी लड़ाई 

मैंने  अपने रुदबे से रुकवाई 

तो क्या यह नहीं है जाईज 

कि मुझे दिया जाए शांति का नोबेल प्राइज 

अगर लोग मेरी बात नहीं मानेंगे

 मेरे वर्चस्व को नहीं जानेंगे 

मैं दुनिया में उथल-पुथल मचा दूंगा

जब तक मुझे शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिल जाएगा मैं किसी को शांति से जीने नहीं दूंगा 

और शांत नहीं बैठूंगा


मदन मोहन बाहेती घोटू

3 टिप्‍पणियां:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-