शिकायत
बड़ी बड़ी दावतों में जाना
और जम कर पीना,खाना
तरह तरह के पकवानों का,
लेते लेते स्वाद
आदमी इतना डट कर खा लेता है,
कि खाने पीने के बाद
डकारें लेता है,पेट सहलाता है
घर आते ही बिस्तर पर,
गिरता ,सो जाता है
ये सच है,दावत खाने के बाद,
आदमी किसी भी काम का नहीं रह जाता है
मदन मोहन बहेती'घोटू'
1417-दो कविताएँ
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*1- ताप सघन है*
*निर्देश निधि*
*ताप सघन है*
*गौरैया बना रही है रेत में समंदर*
*नहा रही है डूब- डूब*
*रख दूँ परात में पानी*
*कि सूरज का ताप ...
1 दिन पहले