एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 9 अगस्त 2025

जीवन जीना 

आतेजाते हैं जीवन में 
कई जटिल तूफान 
सबसे लड़ते ,आगे बढ़ते 
जुझारू इंसान
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान 

कदम बढ़ाए फूंक फूंक कर 
देखें पीछे ,आगे 
राष्ट्र प्रेम की मन के अंदर,
सदा भावना जागे 
अगर किसी के काम आ सको 
जीवन धन्य तुम्हारा 
सेवा की और सद्भावों की 
मन में बहती धारा 
सत के पथ पर चले ना डिगे 
छोड़े ना ईमान 
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान 

 जो भी करें काम जीवन में
 मेहनत और लगन हो 
परोपकार के लिए हमारे 
जीवन का हर क्षण हो 
दीन दुखी की सेवा करना 
नहीं किसी का बुरा सोचना 
और दुर्भाव न रखना 
कभी किसी से कुछ पाने की 
तुम उम्मीद न रखना 
तभी तुम कहलाओगे महान
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान

सब के प्रति सदभाव रखें 
और बुरा न चाहे किसी का 
सदाचार से जीवन जीना 
होता नाम इसी का 
हंसते-हंसते सबसे मिलना 
और रहना मिलजुल कर 
नहीं किसी से कभी दुश्मनी 
जीवन जीना खुलकर 
मिलेगा तुम्हें बहुत सम्मान 
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-