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शनिवार, 2 अगस्त 2025

जीवन का सफर

 पूरा जीवन का सफर किया,
 कुछ चलते-चलते भाग-भाग 
कुछ थके ,रुक गए सुस्ताए 
कुछ सोते-सोते, जाग जाग 

कुछ दिन गुजरे लाचारी में 
कुछ त्रस्त रहे बीमारी में 
जीवन की आपथापी में
 दुनिया की मारामारी में 
की पार राह की बाधाएं,
कुछ उचक उचक, कुछ लांघ लांघ 
पूरा जीवन का सफर किया 
कुछ चलते-चलते, भाग भाग 

कुछ दोस्त मिले ,कुछ दुश्मन भी 
कांटों में उलझा दामन भी 
जो गले लगाया कोई ने 
तो हुई किसी से अनबन भी 
बस बीत गया पूरा जीवन
 कुछ देते देते ,मांग मांग 
पूरा जीवन का सफर किया 
कुछ चलते-चलते, भाग भाग 

कोई ने बीच राह छोड़ा 
कोई ने आ रिश्ता जोड़ा 
कोशिश लाख की दुनिया को
 हम समझ सके थोड़ा-थोड़ा 
कोई संग जीवन डोर बंधी 
पाया कोई का अनुराग 
जीवन का सफर किया पूरा
 कुछ चलते-चलते ,भाग भाग

जो लिखा भाग्य अनुसार किया 
दिल दिया किसी से प्यार किया 
कुछ रोते ,कुछ हंसते गाते
 इस भवसागर को पार किया 
लहरों से रहे जूझते हम 
मन का सारा भय त्याग त्याग 
पूरा जीवन का सफर किया 
कुछ चलते-चलते भाग भाग

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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