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सोमवार, 31 अगस्त 2015
जी हाँ ,मैं चापलूस हूँ
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जी हाँ ,मैं चापलूस हूँ मैं चापलूस हूँ मेरा जिससे मतलब होता है , या जिससे मैं डरता हूँ मैं उनकी चापलूसी करता हूँ उसे खूब मख्खन लगाता ...
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रविवार, 30 अगस्त 2015
रंग-ए-जिंदगानी: राख़ी याद आती हैं
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रंग-ए-जिंदगानी: राख़ी याद आती हैं : सावन आया सजनें लगें मेले, तो राख़ी याद आती हैं। बहना हैं ससुराल में, सुने हुए झुले, तो राख़ी याद आती ...
हाँ,मैं जोरू का गुलाम हूँ
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हाँ,मैं जोरू का गुलाम हूँ मैं बड़े गर्व से कहता हूँ कि मैं जोरू का गुलाम हूँ क्योंकि मैं एक आदमी आम हूँ और हर आम आदमी ,घर चलाने के ...
1 टिप्पणी:
नारी
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नारी कभी मोहिनी रूप धरे मोहित करती है , कभी रिझाया करती है वो ,बन कर रम्भा कभी परोसा करती है पकवान सुहाने , ...
किसी से तुम आँखे मिला कर तो देखो
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किसी से तुम आँखे मिला कर तो देखो है जो रंग पक्का ,तो पक्का रहेगा , भले लाख साबुन लगा कर तो देखो कभी ना कभी वो तुम्हे डस ही लेगा...
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