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बुधवार, 12 जून 2024

तेरी मेरी चिंता 


मुझको रहती तेरी चिंता

 तुझको रहती मेरी चिंता

 क्या होगा जब हम दोनों में 

कोई एक न होगा जिंदा 


तू भी बूढ़ी ,मैं भी बूढ़ा 

एक दूजे को रखें संभाले 

उसे पड़ाव पर है जीवन के,

 पता नहीं कब राम बुला ले 

किस दिन पिंजरा तोड़ उड़ेगा 

जाने किसका प्राण परिंदा 

मुझको रहती तेरी चिंता 

तुझको रहती मेरी चिंता  


आ सकती है मौत कभी भी 

कोई भी दिन ,कोई भी क्षण 

एकाकी जीवन जीने को 

अपने को तैयार रखें हम 

दृढ़ता नहीं दिखाएंगे तो ,

जीवन होगा चिंदा चिंदा 

तुझको रहती मेरी चिंता 

मुझको रहती तेरी चिंता 


यह जीवन का कटु सत्य है ,

एक दिन मौत सभी को आनी 

लेकिन कौन जाएगा किस दिन,

 यह तिथि नहीं किसी ने जानी 

पता न कौन धरा पर होगा 

होगा कौन स्वर्ग बासिंदा 

तुझको रहती मेरी चिंता 

मुझको रहती मेरी चिंता 


करो विवेचन उस दिन का जब 

ऐसा कुछ मौका आएगा 

संबल कौन प्रदान करेगा ,

कौन तुम्हारे काम आएगा 

सच्चा साथ निभाने वाला

 होगा कौन खुद का बंदा 

मुझको रहती तेरी चिंता 

तुझको रहती मेरी चिंता 


ऐसे दुख के क्षण जब आए 

धीरज रखें टूट न जाए 

आवश्यक है इसीलिए हम 

अपने को मजबूत बनाएं 

ऐसा ना हो कमजोरी पर 

होना पड़े हमारे शर्मिंदा 

तुझको रहती मेरी चिंता 

मुझको रहती तेरी चिंता 


पता न फिर कोई ना पूछे 

अब से सबसे रखें बनाकर 

आंखों में आंसू ना आए 

टूट न जाए हम घबराकर

रखना है दृढ़ हमको खुद को 

जब तक रहना जीवन जिंदा

तुझको रहती मेरी चिंता 

मुझको रहती तेरी चिंता 


मदन मोहन बाहेती घोटू

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