जुल्फें
कल रात मेरी जुल्फे,रुखसार पर बिखराई
तारीफ करके कितनी, तुमने उन्हें सराही
देखा उन्ही बालों को ,जो सुबह दाल में तो,
व्यवहार पिया बदला, खोटी खरी सुनाई
घोटू
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।
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