पूछने जाता न कोई, खैरियत बीमार की,
खलल ना पड़ जाए उनके यार के आराम में
इधर रहता है परेशां,दोस्त जो बीमार है,
कोई क्यों आता न उसकी, खैरियत को जानने
घोटू
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।
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