पृष्ठ

सोमवार, 25 सितंबर 2023

भजन


मेरे बदल गए घनश्याम, द्वारका जाकर के

वो तो भूल गए ब्रजधाम,द्वारका जाकर के


भूले प्यार नंद बाबा का 

लाड़ दुलार, जसोदा मां का 

भूल गए माखन का चुराना

बंसी वट में धेनु चराना 

 भूले जमुना में स्नान ,द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम,द्वारका जाकर के


बाल सखा ,सब यार को भूले 

गोपी ग्वाल का प्यार वो भूले

भूल गए बंसी का बजाना 

जमना तट पर रास रचाना 

ना रहे पहले जैसे श्याम, द्वारका जाकर के      

मेरे बदल गए घनश्याम,

द्वारका जाकर के


छोड़ बांसुरी, वो गिरधारी 

बन गए चक्र सुदर्शन धारी 

भूले राधा प्रीत सुहानी 

अब हैं आठ आठ पटरानी 

उनका ऊंचा होगया नाम,द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम ,

द्वारका जाकर के


मीठा जमुना का जल छोड़ा

सागर के संग नाता जोड़ा 

अब ना मोर मुकुट वो पहने

सर पर राज मुकुट और गहने 

हुआ द्वारकाधीश है नाम द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम ,

द्वारका जाकर के


मदन मोहन बाहेती घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।