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शनिवार, 30 सितंबर 2023

आई दिवाली रे

दीप चमकते ,जगमग जगमग 
हर घर चमके ,जगमग जगमग 
सबके चेहरा है, जगमग जगमग 
साथ खुशियां मनाये परिवार रे 
आया दीपावली त्योहार रे 

हर दीपक में भरा प्रेम रस 
बाती ज्योतिर्मय करती जग 
पूनम सी हो गई अमावस 
दूर हुआ अंधकार रे 
आया दीपावली त्यौहार रे

चौदह वर्षों वन में रहकर 
आज अयोध्या आए रघुवर 
दीप जलाए ,सबने घर-घर 
करने प्रभु जी का सत्कार रे 
आया दीपावली त्यौहार रे

श्री लक्ष्मी गणेश का पूजन 
बड़े प्यार से करता हर जन 
घर-घर बनते छप्पन व्यंजन 
सब लोग लुटाते प्यार रे
आया दीपावली त्यौहार रे

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 25 सितंबर 2023

चिर यौवन 


बचपन ,यौवन,वृद्धावस्था ,

ये जीवन का क्रम सदा रहे 

पर हर कोई करता प्रयास,

वह जब तक जिये ,जवां रहे 

खा लेने भर से च्यवनप्राश

हर दम ना टिकता है यौवन 

या शिलाजीत का सेवन कर

होता मजबूत शिला सा तन 

क्षरण नियम है प्रकृति का ,

होती है उम्र जब साठ पार 

आता है बुढ़ापा हर तन पर ,

दस्तक देता है बार-बार 

पर वृद्धावस्था से तुमको 

जो टक्कर लेकर जीना है 

हंसते-हंसते मरते दम तक

 यौवन का अमृत पीना है 

तो अपना हृदय जवान रखो 

तुम अपनी सोच जवान रखो 

मत देखो श्वेत केश ,मन में,

तुम यौवन का तूफान रखो 

मन में फुर्तीले होने से ,

फुर्तीला हो जाता तन है 

डर दूर बुढ़ापा भग जाता, 

कायम रहता चिर यौवन है 

रहते उमंग और जोश भरे ,

जो खुश रहते हंसते गाते 

मन से जवान वो रहते हैं 

चिर युवा वही है कहलाते


मदन मोहन बाहेती घोटू

जीवन में सफलता के सूत्र


कई समस्यायें जीवन की हल होंगी

बस थोड़ा व्यवहार कुशल हो जाओ तुम

कोई से जब मिलो ,मिलो अपनेपन से, और गर्म जोशी से हाथ मिलाओ तुम 


जब  कुछ बोलो,बोल तुम्हारे मीठे हो,

होठों पर मुस्कान ,खुशी हो चेहरे पर 

दीन दुखी की सेवा और मदद करने,

अपने तन और मन से सदा रहो तत्पर


 मिलो बुजुर्गों से तो उनको नमन करो,

बच्चों से मिल,प्यार उन्हे तुम जतलाओ 

हो गंभीर करो सब बातें बिजनेस की,

अपना दृष्टिकोण अच्छे से समझाओ 


होगा अगर आचरण जो व्यवहार कुशल

सदा सफलता पाओगे तुम जीवन में 

ज्यादा मुंह फट होना भी है ठीक नहीं ,

कुछ बातों को रखना पड़ता है मन में


बिगड़ी बातें बनती *सौरी*कहने से ,

और*थैंक यू *सुन खुश हो जाताअगला 

नारीशक्ति की सदा प्रशंसा करने से,

 तुम्हारा जीवन में होगा बहुत भला 


क्या कब करना सोच समझकर निर्णय लो

परिस्थिति को पहले देखोभालो तुम 

ये सब सूत्र सफलता के हैं जीवन में,

सुखी रहोगे अगर इन्हें अपनालो तुम 


मदन मोहन बाहेती घोटू

मन बूंदी बूंदी हो जाता


तुम रसगुल्ले सी रसभीनी ,

मीठी बातें जब करती हो 

तो गरम चासनी में डूबा,

 मन बूंदी बूंदी हो जाता 


जब तन की गरम कढ़ाही में

वह दूध खौलता ,गरम-गरम,

 मीठी रबड़ी सा स्वाद भरा,

 यह मन बासूंदी हो जाता 


जब गोल-गोल टेढ़े मेढे,

करती हो कई बहाने तुम 

आता है स्वाद जलेबी का, 

मैं बड़े चाव से खाता हूं 


जब तुम शरमाती गालों पर,

तो गाजर के हलवे जैसी,

 छा जाती गुलाबी रंगत है 

मैं स्वाद अनोखा पाता हूं


मुंह खोल,अधर कर चौड़े से

जब गटकाती पानीपुरियां ,

मुझको लगता है चुम्बन का

यह तुम्हारा आवाहन है 


जब चाट, चाट चटकारे भर ,

तुम सीसी, सीसी करती हो 

तो तुम्हें देख कर जाने क्या 

सोचा करता मेरा मन है 


तुम डोमिनो के पिज़्ज़ा सी,

 या मैकडॉनल्ड की बर्गर हो 

तुम मोमो जैसी स्वाद भरी ,

या जैसे गरम समोसा हो 


तुम हो आलू की टिक्की सी 

या छोले और भटूरे सी

इडली सी नरम मुलायम तुम

 स्वादिष्ट मसाला डोसा हो 


तुम हो वेजिटेबल पुलाव 

या कभी सयानी बिरियानी,

मैं दाल माखनी के जैसा 

मिल-जुल कर स्वाद बढ़ाता हूं 


तुम मधुर मधुर पकवान डियर 

मैं खानपान शौकीन बहुत 

हर स्वादिष्ट व्यंजन का मैं ,

तुममें स्वाद पा जाता हूं


मदन मोहन बाहेती घोटू

भजन


मेरे बदल गए घनश्याम, द्वारका जाकर के

वो तो भूल गए ब्रजधाम,द्वारका जाकर के


भूले प्यार नंद बाबा का 

लाड़ दुलार, जसोदा मां का 

भूल गए माखन का चुराना

बंसी वट में धेनु चराना 

 भूले जमुना में स्नान ,द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम,द्वारका जाकर के


बाल सखा ,सब यार को भूले 

गोपी ग्वाल का प्यार वो भूले

भूल गए बंसी का बजाना 

जमना तट पर रास रचाना 

ना रहे पहले जैसे श्याम, द्वारका जाकर के      

मेरे बदल गए घनश्याम,

द्वारका जाकर के


छोड़ बांसुरी, वो गिरधारी 

बन गए चक्र सुदर्शन धारी 

भूले राधा प्रीत सुहानी 

अब हैं आठ आठ पटरानी 

उनका ऊंचा होगया नाम,द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम ,

द्वारका जाकर के


मीठा जमुना का जल छोड़ा

सागर के संग नाता जोड़ा 

अब ना मोर मुकुट वो पहने

सर पर राज मुकुट और गहने 

हुआ द्वारकाधीश है नाम द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम ,

द्वारका जाकर के


मदन मोहन बाहेती घोटू

मज़ा बुढ़ापे का 

जब भी जी चाहे सो जाओ 
जब भी जी चाहे जग जाओ 
जो जी चाहे खाओ पियो 
अपनी मन मरजी से जियो 
मन कहे, करो तो वैसे ही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

ना दफ्तर जाना सुबह दौड़ 
ना ही बिजनेस की तोड़फोड़ 
ना तो ऊधो को कुछ देना 
ना ही माधो से कुछ लेना 
ना कोई की जवाब देही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

तुम सुबह उठो पेपर चाटो 
या टीवी देखो ,दिन काटो 
या घूमो माल ,बाजारों में 
या गपशप मारो यारों में 
बन रहो सभी के तुम स्नेही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

जीवन भर खट ,जो धन जोड़ा 
खुद पर भी खर्च करो थोड़ा 
अब त्यागो सब मोह माया को 
जी भर सुख दो निज काया को 
पैसा काम आए अपने ही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही

जब मृत्यु वाला दिन तय है 
तो तुमको काहे का भय है 
जो होना है ,हो जाने दो 
जीवन में मस्ती आने दो 
तुम मौज उड़ाओ ऐसे ही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

मैंने वो दिन भी देखे हैं

जब जीना पल पल मुश्किल था,
मैंने वो दिन भी देखे हैं 

मैं आपातकालीन सेज पर,
पड़ा हुआ था रुग्णालय में 
मेरी सांसे सहम रही थी ,
पास खड़ी मृत्यु के भय में
लेकिन जीने की उत्कंठा ,
मुझको दिला रही थी शक्ति 
आत्मीय जन और मित्रों की 
कई दुआएं,पूजा, भक्ति 
मुझे छीन कर मृत्यु मुख से 
फिर से वापस ले आई थी 
और चिकित्सक की मेहनत भी
 धीरे-धीरे रंग लाई थी 
नियति की लीला के आगे ,
सबने ही घुटने टेके हैं 
जब जीना पल पल मुश्किल था,
 मैंने वो दिन भी देखे हैं 

उठ ना पाता था बिस्तर से,
 तन इतना कमजोर हुआ था 
आशा और निराशाओं का 
मन में ऐसा दौर हुआ था 
मन कहता था हिम्मत रख, जी,
 बुरा वक्त है कट जाएगा 
तेरे सब सत्कर्मों का फल 
तुझ में नवजीवन लायेगा
मेरी इच्छा शक्ति रह रह,
मुझको दिला रही थी ढाढस 
नई जिंदगी शुरू हो गई ,
पहले के जैसी जस की तस
दौर दूसरा यह जीवन का ,
शुरू हुआ खुशियां लेके है 
जब जीना पल पल मुश्किल था 
मैंने वो दिन भी देखे हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 
हर दिन 

तुम खुश मेरी पूनम उस दिन
तुम नाराज अमावस उस दिन 

जिस दिन भृकुटी तनी तुम्हारी,
उस दिन तपन, गरम लू चलती 
जिस रहती खफा मौन तुम ,
वह सरदी की रात ठिठुरती 
जिस दिन बरसे प्यार तुम्हारा,
उस दिन ही सावन की रिमझिम 
तुम खुश मेरी पूनम उस दिन 
तुम नाराज़,अमावस उस दिन

जिस दिन तुम हंसती, मुस्कुराती,
 चलती है बयार बासंती
तुम्हारे मिजाज के माफिक 
मेरी सारी ऋतुएं बनती
जब तुम चहको, पंछी चहके,
जब तुम बहको ,बहके मौसम 
तुम खुश ,मेरी पूनम उस दिन
तुम नाराज़,अमावस उस दिन

जब तुम मुंह ढक कर सोती हो,
उस दिन चंद्र ग्रहण है लगता
जब तुम अंगड़ाई लेती हो ,
छाती मस्तानी मादकता 
बिन तुम्हारे नींद ना आती ,
रात गुजरती तारे गिन गिन 
तुम खुश, मेरी पूनम उस दिन 
तुम नाराज ,अमावस उस दिन

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 21 सितंबर 2023

शौक जवानी वाले


है तन में थोड़ी कमजोरी ,

और कई बीमारी पाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

 पर  शौक जवानी वाले हैं 


घर की रोटी और दाल छोड़,

बाहर होटल में खाते हैं 

या फिर स्विगी को ऑर्डर दे,

पिज़्ज़ा बर्गर मंगवाता है 

है गरम कचोरी मनभाती ,

या खाते छोले भटूरे हैं 

रबड़ी केऔर जलेबी के ,

हम अब भी आशिक पूरे हैं 

दो घूंट कभी गटका लेते,

तो हो जाते मतवाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी 

पर शौक जवानी वाले हैं 


अब भी हम पहना करता हैं 

 कपड़े रंगीन और चटकीले 

पूरे फैशन के मारे हैं,

और शोक हमारे रंगीले 

सागर तट पर सैर सपाटा ,

हमको बहुत सुहाता है 

लहरों के संग,अठखेली में 

 मजा बहुत ही आता है 

अपने मन को बहलाने के 

यह सब अंदाज निराले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

पर शौक जवानी वाले हैं 


अब भी आशिक मिजाज है दिल 

जो देख हुस्न, ललचाता है 

पाने को साथ जवानी का ,

मन तरसा तरसा जाता है 

मन देश विदेश घूमने को 

अब भी आतुर रहता हरदम 

बस यूं ही उछालें भरता है,

हालांकि बचा ना कुछ दम खम 

खुद को जवान समझने की,

हम गलतफहमियां पाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

पर शौक जवानी वाले हैं


मदन मोहन बाहेती घोटू

आती है मां याद तुम्हारी


तेरी सूरत प्यारी प्यारी

आती है मां याद तुम्हारी


तूने जन्म दिया और पाला 

अपने हाथों खिला निवाला 

दूध पिलाया ,चिपका छाती 

लोरी गा तू मुझे सुलाती 

मैं रोया , तुमने पुचकारा 

स्वार्थहीन था प्यार तुम्हारा 

मेरी बाल सुलभ कीड़ा पर, 

बार-बार जाती बलिहारी 

आती है मां याद तुम्हारी 


तूने अक्षर ज्ञान कराया 

चलना,उंगली पकड़ सिखाया 

जब भी गिरा ,उठाया तूने 

ढाढस दे,समझाया तूने 

हर सुख दुख में साया तेरा 

हरदम बना ,सहायक मेरा 

तेरे ही आशीवादों से,

 मैं जीवन में बड़ा अगाड़ी 

आती है मां याद तुम्हारी 


आज तू नहीं ,तेरी यादें 

रखती परिवार को बांधे 

सब बेटी बेटे तुम्हारे 

हैं संपन्न ,सुखी है सारे 

अब भी वरदहस्त तुम्हारा 

देता हमको सदा सहारा 

तेरी शिक्षा ,तेरी दिक्षा,

 सदा प्रेरणा बनी हमारी 

आती है मां याद तुम्हारी


मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 17 सितंबर 2023

नवदुर्गा

देखो आई आई नवरात 
दरश नव दुर्गा का 
सब देवेंगी आशीर्वाद ,
दरश नव दुर्गा का

पहली देवी शैलपुत्री है 
यह तो सती जी का है अवतार
 दरश नव दुर्गा का 

दूजी देवी ब्रह्मचारिणी,
आई वस्त्र श्वेत ये धार
दरश नव दुर्गा का 

चंद्रघटा है तीजी देवी ,
भक्ति शक्ति अपार 
दरश नव दुर्गा का 

चौथी देवी कूष्मांडा है , 
रचा जिसने सकल संसार ,
दरश नव दुर्गा का 

स्कंधमाता देवी पांचवी,
करें कार्तिकेय से प्यार
दरश नव दुर्गा का 

छठवीं देवी कांतायनी मां ,
 ये है शक्ति का भंडार 
दरश नव दुर्गा का 

सातवीं देवी कालरात्रि है ,
करे दुष्टों का संहार,
दरश नव दुर्गा का 

महागौरी है देवी आठवीं ,
सुंदर,शांत व्यवहार 
दरश नव दुर्गा का 

नवमी देवी सिद्धिदात्री ,
करे सब पर कृपा अपार 
दरश नव दुर्गा का 

करके दर्शन नव देवी का 
पाएं आशीर्वाद सभी का 
होगा जीवन में आल्हाद,
दरश नव दुर्गा का 
देखो आई आई नवरात
 दरश नव दुर्गा का

मदन मोहन बाहेती घोटू

बोलो श्याम श्याम श्याम


मेरे मन के अंदर श्याम 

मेरे तन के अन्दर श्याम

मेरे रोम रोम में श्याम 

जपता हूं मैं सुबह शाम

बोलो श्याम श्याम श्याम 


बाबा नंद जी के दुलारे 

मैया जसमत के तुम प्यारे

कभी गोकुल गांव के ग्वाले 

वन में धेनु चराने वाले 

बालक रूप धरे भगवान 

बोलो श्याम श्याम श्याम 


कभी माखन हो चुराते 

कभी गोपी को सताते 

कभी बांसुरी हो बजाते 

जमुना तट पर रास रचाते 

ऐसे प्यारे तुम घनश्याम 

बोलो श्याम श्याम श्याम 


तुम हो बांके बहुत बिहारी 

तुम बनवारी,किशन मुरारी 

कभी हो मोर मुकुट के धारी 

सोलह कला के अवतारी 

कैसी सुंदर छवि अविराम 

बोलो श्याम श्याम श्याम 




जय जय कृपासिंधु सब लायक

सुमिरन तुम्हारा सुखदायक

तुम हो महाभारत के नायक 

जय जय गीता ज्ञान के गायक 

जाकर बसे द्वारका धाम 

बोलो श्याम श्याम श्याम


जय जय चक्र सुदर्शन धारी

मन में बसी है छवि तुम्हारी

कितनी सुन्दर कितनी प्यारी

दर्शन दे दो ओ गिरधारी

तुमको कोटि कोटि प्रणाम

बोलो श्याम श्याम श्याम



मदन मोहन बाहेती घोटू

बोलो श्याम श्याम श्याम

मेरे मन के अंदर श्याम 
मेरे तन के अन्दर श्याम
मेरे रोम रोम में श्याम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

बाबा नंद के दुलारे 
मैया जसमत के प्यारे
कभी गोकुल के ग्वाले 
वन में धेनु चराने वाले 
बालक रूप धरे भगवान 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

कभी माखन चुराते 
कभी गोपी को सताते 
कभी बांसुरी बजाते 
कभी रास रचाते 
ऐसे प्यारे हैं घनश्याम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

कभी बनवारी गिरधारी 
कभी किशन मुरारी 
कभी मोर मुकुट के धारी 
सोलह कला के अवतारी 
कैसी सुंदर छवि अभिराम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

जय जय चक्र सुदर्शन धारक 
मामा कृष्ण के संहारक 
महाभारत के तुम नायक 
गीता ज्ञान के तुम गायक 
जाकिर बसे द्वारका धाम 
बोलो श्याम श्याम श्याम

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 13 सितंबर 2023

 बोल्ड ब्यूटी  तीन चौके 


एक


नजर तिरछी डाल हम पर, हमको बोअर कर दिया 

जो खुला था ,बंद उनने ,दिल का डोअर कर दिया 

टेढ़े मेढ़े दांत दिखला, मुस्कुराए इस तरह,

टेस्ट मुंह का था जो मीठा, वह भी सोअर

 कर दिया 


दो 


था बदन फुटबॉल सा हम देख आउट हो गए 

बोल्ड ब्यूटी देख , बोअर, बिना डाउट हो गए 

 एचकतानी आंख थी और कान ऐसे लटकते ,

भिगोने से चाय में जैसे कि बिस्किट हो गए 


तीन


नाक थी उनकी निराली,नल की टोटी की तरह 

फेस था उनका जड़ाऊ ,जली रोटी की तरह 

चलते थे तो झूलती थी ,हाय उनकी चोटियां ,

सूखती जैसे हवा में ,हो लंगोटी की तरह


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

विनती परमेश्वर से 

विनती है तुझसे परमेश्वर 
मुझे बुलाए जब अपने घर 
मत देना व्याधि का संकट 
लेना मुझे बुला तू झटपट 
रुग्णालय में रहूं तड़पता,
 ऐसा बुरा नसीब ना देना 
मेरे कारण कभी किसी को,
होने कुछ तकलीफ न देना 

मोहजाल में फंसा हुआ मैं 
जल्दी से अब जाऊं निकलता 
आया था मैं रोता रोता 
लेकिन जाऊं हंसता हंसता 
बना रहे परिवारजनों में 
प्यार भाव पहले ही जैसा 
उन पर विपदा कोई ना आए 
सुख शांति से रहे हमेशा 
हो समृद्ध ,प्रफुल्लित जीवन ,
कभी किसी को टीस न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना 

जीवन भर सत्कर्म किए हैं 
नहीं दुखाया कोई का दिल 
बस इतनी तू कृपा बनाना,
जगह स्वर्ग में जाए मुझे मिल 
मेरी अर्धांगिनी पत्नी ने ,
ख्याल रखा है मेरा हर क्षण 
इसीलिए विनती है जब तक 
वह जिए बन रहे सुहागन 
परेशानियां कोई उसके 
आने कभी करीब न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना 

मन में गिला न शिकवा कोई 
नहीं किसी से रुष्ट रहूं मैं
जिऊं एक संपूर्ण जिंदगी 
और सदा संतुष्ट रहूं मैं
क्षणभंगुर जीवन में जब भी 
आए जुदाई का जब वह पल 
मुंह पर तेरा नाम बसा हो 
हो मुस्कान मेरे चेहरे पर 
कोई दुख को या पीड़ा को 
आने मेरे समीप न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना

मदन मोहन बाहेती घोटू