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शनिवार, 30 सितंबर 2023
सोमवार, 25 सितंबर 2023
चिर यौवन
बचपन ,यौवन,वृद्धावस्था ,
ये जीवन का क्रम सदा रहे
पर हर कोई करता प्रयास,
वह जब तक जिये ,जवां रहे
खा लेने भर से च्यवनप्राश
हर दम ना टिकता है यौवन
या शिलाजीत का सेवन कर
होता मजबूत शिला सा तन
क्षरण नियम है प्रकृति का ,
होती है उम्र जब साठ पार
आता है बुढ़ापा हर तन पर ,
दस्तक देता है बार-बार
पर वृद्धावस्था से तुमको
जो टक्कर लेकर जीना है
हंसते-हंसते मरते दम तक
यौवन का अमृत पीना है
तो अपना हृदय जवान रखो
तुम अपनी सोच जवान रखो
मत देखो श्वेत केश ,मन में,
तुम यौवन का तूफान रखो
मन में फुर्तीले होने से ,
फुर्तीला हो जाता तन है
डर दूर बुढ़ापा भग जाता,
कायम रहता चिर यौवन है
रहते उमंग और जोश भरे ,
जो खुश रहते हंसते गाते
मन से जवान वो रहते हैं
चिर युवा वही है कहलाते
मदन मोहन बाहेती घोटू
जीवन में सफलता के सूत्र
कई समस्यायें जीवन की हल होंगी
बस थोड़ा व्यवहार कुशल हो जाओ तुम
कोई से जब मिलो ,मिलो अपनेपन से, और गर्म जोशी से हाथ मिलाओ तुम
जब कुछ बोलो,बोल तुम्हारे मीठे हो,
होठों पर मुस्कान ,खुशी हो चेहरे पर
दीन दुखी की सेवा और मदद करने,
अपने तन और मन से सदा रहो तत्पर
मिलो बुजुर्गों से तो उनको नमन करो,
बच्चों से मिल,प्यार उन्हे तुम जतलाओ
हो गंभीर करो सब बातें बिजनेस की,
अपना दृष्टिकोण अच्छे से समझाओ
होगा अगर आचरण जो व्यवहार कुशल
सदा सफलता पाओगे तुम जीवन में
ज्यादा मुंह फट होना भी है ठीक नहीं ,
कुछ बातों को रखना पड़ता है मन में
बिगड़ी बातें बनती *सौरी*कहने से ,
और*थैंक यू *सुन खुश हो जाताअगला
नारीशक्ति की सदा प्रशंसा करने से,
तुम्हारा जीवन में होगा बहुत भला
क्या कब करना सोच समझकर निर्णय लो
परिस्थिति को पहले देखोभालो तुम
ये सब सूत्र सफलता के हैं जीवन में,
सुखी रहोगे अगर इन्हें अपनालो तुम
मदन मोहन बाहेती घोटू
मन बूंदी बूंदी हो जाता
तुम रसगुल्ले सी रसभीनी ,
मीठी बातें जब करती हो
तो गरम चासनी में डूबा,
मन बूंदी बूंदी हो जाता
जब तन की गरम कढ़ाही में
वह दूध खौलता ,गरम-गरम,
मीठी रबड़ी सा स्वाद भरा,
यह मन बासूंदी हो जाता
जब गोल-गोल टेढ़े मेढे,
करती हो कई बहाने तुम
आता है स्वाद जलेबी का,
मैं बड़े चाव से खाता हूं
जब तुम शरमाती गालों पर,
तो गाजर के हलवे जैसी,
छा जाती गुलाबी रंगत है
मैं स्वाद अनोखा पाता हूं
मुंह खोल,अधर कर चौड़े से
जब गटकाती पानीपुरियां ,
मुझको लगता है चुम्बन का
यह तुम्हारा आवाहन है
जब चाट, चाट चटकारे भर ,
तुम सीसी, सीसी करती हो
तो तुम्हें देख कर जाने क्या
सोचा करता मेरा मन है
तुम डोमिनो के पिज़्ज़ा सी,
या मैकडॉनल्ड की बर्गर हो
तुम मोमो जैसी स्वाद भरी ,
या जैसे गरम समोसा हो
तुम हो आलू की टिक्की सी
या छोले और भटूरे सी
इडली सी नरम मुलायम तुम
स्वादिष्ट मसाला डोसा हो
तुम हो वेजिटेबल पुलाव
या कभी सयानी बिरियानी,
मैं दाल माखनी के जैसा
मिल-जुल कर स्वाद बढ़ाता हूं
तुम मधुर मधुर पकवान डियर
मैं खानपान शौकीन बहुत
हर स्वादिष्ट व्यंजन का मैं ,
तुममें स्वाद पा जाता हूं
मदन मोहन बाहेती घोटू
भजन
मेरे बदल गए घनश्याम, द्वारका जाकर के
वो तो भूल गए ब्रजधाम,द्वारका जाकर के
भूले प्यार नंद बाबा का
लाड़ दुलार, जसोदा मां का
भूल गए माखन का चुराना
बंसी वट में धेनु चराना
भूले जमुना में स्नान ,द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम,द्वारका जाकर के
बाल सखा ,सब यार को भूले
गोपी ग्वाल का प्यार वो भूले
भूल गए बंसी का बजाना
जमना तट पर रास रचाना
ना रहे पहले जैसे श्याम, द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम,
द्वारका जाकर के
छोड़ बांसुरी, वो गिरधारी
बन गए चक्र सुदर्शन धारी
भूले राधा प्रीत सुहानी
अब हैं आठ आठ पटरानी
उनका ऊंचा होगया नाम,द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम ,
द्वारका जाकर के
मीठा जमुना का जल छोड़ा
सागर के संग नाता जोड़ा
अब ना मोर मुकुट वो पहने
सर पर राज मुकुट और गहने
हुआ द्वारकाधीश है नाम द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम ,
द्वारका जाकर के
मदन मोहन बाहेती घोटू
शुक्रवार, 22 सितंबर 2023
गुरुवार, 21 सितंबर 2023
शौक जवानी वाले
है तन में थोड़ी कमजोरी ,
और कई बीमारी पाले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी ,
पर शौक जवानी वाले हैं
घर की रोटी और दाल छोड़,
बाहर होटल में खाते हैं
या फिर स्विगी को ऑर्डर दे,
पिज़्ज़ा बर्गर मंगवाता है
है गरम कचोरी मनभाती ,
या खाते छोले भटूरे हैं
रबड़ी केऔर जलेबी के ,
हम अब भी आशिक पूरे हैं
दो घूंट कभी गटका लेते,
तो हो जाते मतवाले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी
पर शौक जवानी वाले हैं
अब भी हम पहना करता हैं
कपड़े रंगीन और चटकीले
पूरे फैशन के मारे हैं,
और शोक हमारे रंगीले
सागर तट पर सैर सपाटा ,
हमको बहुत सुहाता है
लहरों के संग,अठखेली में
मजा बहुत ही आता है
अपने मन को बहलाने के
यह सब अंदाज निराले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी ,
पर शौक जवानी वाले हैं
अब भी आशिक मिजाज है दिल
जो देख हुस्न, ललचाता है
पाने को साथ जवानी का ,
मन तरसा तरसा जाता है
मन देश विदेश घूमने को
अब भी आतुर रहता हरदम
बस यूं ही उछालें भरता है,
हालांकि बचा ना कुछ दम खम
खुद को जवान समझने की,
हम गलतफहमियां पाले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी ,
पर शौक जवानी वाले हैं
मदन मोहन बाहेती घोटू
आती है मां याद तुम्हारी
तेरी सूरत प्यारी प्यारी
आती है मां याद तुम्हारी
तूने जन्म दिया और पाला
अपने हाथों खिला निवाला
दूध पिलाया ,चिपका छाती
लोरी गा तू मुझे सुलाती
मैं रोया , तुमने पुचकारा
स्वार्थहीन था प्यार तुम्हारा
मेरी बाल सुलभ कीड़ा पर,
बार-बार जाती बलिहारी
आती है मां याद तुम्हारी
तूने अक्षर ज्ञान कराया
चलना,उंगली पकड़ सिखाया
जब भी गिरा ,उठाया तूने
ढाढस दे,समझाया तूने
हर सुख दुख में साया तेरा
हरदम बना ,सहायक मेरा
तेरे ही आशीवादों से,
मैं जीवन में बड़ा अगाड़ी
आती है मां याद तुम्हारी
आज तू नहीं ,तेरी यादें
रखती परिवार को बांधे
सब बेटी बेटे तुम्हारे
हैं संपन्न ,सुखी है सारे
अब भी वरदहस्त तुम्हारा
देता हमको सदा सहारा
तेरी शिक्षा ,तेरी दिक्षा,
सदा प्रेरणा बनी हमारी
आती है मां याद तुम्हारी
मदन मोहन बाहेती घोटू
रविवार, 17 सितंबर 2023
बोलो श्याम श्याम श्याम
मेरे मन के अंदर श्याम
मेरे तन के अन्दर श्याम
मेरे रोम रोम में श्याम
जपता हूं मैं सुबह शाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
बाबा नंद जी के दुलारे
मैया जसमत के तुम प्यारे
कभी गोकुल गांव के ग्वाले
वन में धेनु चराने वाले
बालक रूप धरे भगवान
बोलो श्याम श्याम श्याम
कभी माखन हो चुराते
कभी गोपी को सताते
कभी बांसुरी हो बजाते
जमुना तट पर रास रचाते
ऐसे प्यारे तुम घनश्याम
बोलो श्याम श्याम श्याम
तुम हो बांके बहुत बिहारी
तुम बनवारी,किशन मुरारी
कभी हो मोर मुकुट के धारी
सोलह कला के अवतारी
कैसी सुंदर छवि अविराम
बोलो श्याम श्याम श्याम
जय जय कृपासिंधु सब लायक
सुमिरन तुम्हारा सुखदायक
तुम हो महाभारत के नायक
जय जय गीता ज्ञान के गायक
जाकर बसे द्वारका धाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
जय जय चक्र सुदर्शन धारी
मन में बसी है छवि तुम्हारी
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी
दर्शन दे दो ओ गिरधारी
तुमको कोटि कोटि प्रणाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
मदन मोहन बाहेती घोटू
बुधवार, 13 सितंबर 2023
बोल्ड ब्यूटी तीन चौके
एक
नजर तिरछी डाल हम पर, हमको बोअर कर दिया
जो खुला था ,बंद उनने ,दिल का डोअर कर दिया
टेढ़े मेढ़े दांत दिखला, मुस्कुराए इस तरह,
टेस्ट मुंह का था जो मीठा, वह भी सोअर
कर दिया
दो
था बदन फुटबॉल सा हम देख आउट हो गए
बोल्ड ब्यूटी देख , बोअर, बिना डाउट हो गए
एचकतानी आंख थी और कान ऐसे लटकते ,
भिगोने से चाय में जैसे कि बिस्किट हो गए
तीन
नाक थी उनकी निराली,नल की टोटी की तरह
फेस था उनका जड़ाऊ ,जली रोटी की तरह
चलते थे तो झूलती थी ,हाय उनकी चोटियां ,
सूखती जैसे हवा में ,हो लंगोटी की तरह
मदन मोहन बाहेती घोटू