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शनिवार, 1 जुलाई 2023

ग़ज़ल 

बस्ती में भरे बबूलो की 
तुम चाह कर रहे फूलों की 
ऊपर ,नीचे ,दाएं, बाएं,
हर तरफ चुभन है फूलों की 
झुलसाती लू में करते हो,
आशा सावन के झूलों की
 डिस्को का डांस नहीं होता,
 महफिल में लंगड़े लूलों की 
 जब स्वार्थ सिद्ध हो जाता है,
 चढ़ जाती बली उसूलों की 
 "घोटू" मिल जाती हमें सजा ,
 जीते जी अपनी भूलों की

घोटू 

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