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बुधवार, 25 अगस्त 2021

मिलन पर्व

 रूप तुम्हारा मन को भाया, 
 तुमने भी कुछ हाथ बढ़ाया
  बंधा हमारा गठबंधन और ,
  मिलन पर्व हैअब जब आ 
  सांसो से सांसे टकराई
 और प्रीत परवान चढ़ गई 
 यारां, मेरी नींद उड़ गई 
 
 तुमने जब एक अंगड़ाई ली, 
 फैला बांह ,बदन को तोड़ा 
 देखा उस सुंदर छवि को तो,
  सोया मन जग गया निगोड़ा
 फिर जो तेरे अलसाये से ,
 तन की मादक खुशबू महकी 
 मेरे तन मन और बदन में, 
 एक चिंगारी जैसी दहकी
 पहले वरमाला, बांहों की,
 माला फिर थी गले पड़ गई
यारां, मेरी नींद उड़ गई 

 मैंने जब तुमको सहलाया ,
 प्यार तुम्हारा भी उमड़ाया 
 बात बड़ी आगे, अधरों ने ,
 जब अधरों का अमृत पाया 
 हम तुम दोनों एक हो गए, 
 बंध बाहों के गठबंधन में 
 सारा प्यार उमड़ कर आया 
 और सुख सरसाया जीवन में 
 मैं न रहा मैं, तुम न रही तुम, 
 ऐसी हमने प्रीत जुड़ गई 
 यारां, मेरी नींद उड़ गई

मदन मोहन बाहेती घोटू

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