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रविवार, 25 अक्टूबर 2020

सही दशहरा तभी मनेंगा

आता है हर साल दशहरा ,
 हम त्योंहार मना लेते है
पुतला बना एक रावण का ,
उसमे  आग लगा देते  है
यही सोच खुश हो लेते है ,
हमने मार दिया रावण को
लेकिन यह तो मात्र बहाना ,
है बहलाने अपने मन को
क्योंकि अगले बरस दशहरे ,
तक फिर पैदा होगा रावण
परम्परा यह बरसों की है ,
कब तक पालेंगे हम यह भ्र्म
इस  जग में इतने रावण है ,
 कैसे  किस किस को मारोगे
हर रावण के दस दस सर है ,
 कब तक  इनको संहारोगे
यह भी है एक कटुसत्य कि ,
सब में रावण छुपा कहीं है
कई बुराई वाले मुख है ,
हममे कोई राम नहीं है
तो आओ सबसे पहले हम ,
नाश करें निज दानवता का
 काटें हर बुराई का चेहरा ,
रहे एक मुख मानवता का
अपनी सभी बुराइयां तज ,
जब हर मानव राम बनेगा
 कोई रावण नहीं जलेगा ,
सही दशहरा तभी मनेगा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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