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शुक्रवार, 29 मई 2020

कोरोना की चकल्लस, कोरोना की भड़ास...

यार,
मुँह दिखाने लायक भी
नहीं छोड़ा इस कोरोना ने,
बताओ भला
भटक गयीं रास्ते से
पटरी पकड़कर चलनेवाली
तमाम रेलगाड़ियाँ भी...

ताली पीटी-थाली पीटी
दिया जलाया मोमबत्ती जलायी
कोरोना तो भागा नहीं
टिड्डियाँ और आ गयीं हैं
जान खाने के लिये,
अब सिर बचा है
बोलो तो वो भी पीट लें...

दे दिया है
बीस लाख करोड़ का पैकेज
हिसाब-किताब लगाते रहो
जब तक कोरोना के कहर है
बच गये तो ले लेना कर्ज
लगा लेना धंधा-पानी पर
उम्मीद मत छोड़ना
अच्छे दिन जरूर आयेंगे
अभी नहीं तो २०२४ के बाद
पक्का, हम आयेंगे - हम लायेंगे...

तब तक
मन की बात करते रहिये
मन की बात सुनते रहिये
भूख-प्यास हैं मामूली चीजें
हमारा नाम दुनिया के
किस-किस कोने में हो रहा ये
सुन - सुन के खुश होते रहिये...

खैर, छोड़ो सब
चलो टीवी न्यूज देखें,
क्या गजब की बहस
क्या गजब का गला-फाड़
क्या अजब-गजब तर्क
कोरोना के लिये चमगादड़ दोषी
इसे पकाने, नहीं खानेवाले दोषी,
चीन दोषी - पाकिस्तान दोषी
हिन्दु दोषी - मुसलमान दोषी
तू दोषी - ये दोषी - वो दोषी
चौं - चौं - कौं - कौं - भौं - भौं
गुर्र - गुर्र - गुर्र हट्ट, ब्रेकिंग न्यूज
और इसतरह हम हैं सबसे तेज...

अच्छा, चलो विडियो बनायें
भइया आप कहाँ जा रहे?
'जहन्नुम में, चलना है?'
'भइया यहाँ से क्यों जा रहे?'
'ऐसे ही घूमने - फिरने, क्यों?'
'भइया आपको कैसा लग रहा पैदल'
'जैसे कोई सामने हो अक्ल से पैदल'
'भइया, आप मजाक कर रहे'
'तो भइया आप भी तो वही कर रहे'
'भइया, हमारी बसों में गाँव जाइये'
'भेजा मत खाइये, आप यहाँ से जाइये'...

तो ये रही
चर्चित की चकल्लस
ये रही चर्चित के
दिल की भड़ास,
किसी को लगेगी अपनी
तो किसी को लगेगी
छिः-आक-थू यानी सड़ास...

- विशाल चर्चित

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