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बुधवार, 23 अक्टूबर 2019

दर्द तो है

पीर थोड़ी कम हुई पर दर्द तो है
आग दिल में ,मगर आहें सर्द तो है

चाल ढीली है मगर चल तो रहें है
तेल कम ,पर ये दिये  जल तो रहे है
नज़र धुंधली है मगर दिख तो रहा है
चलता रुकरुक,पेन पर लिख तो रहा है  
बीबी बूढी ,मगर करती प्यार तो है
बसा अब तक ,तुम्हारा संसार तो है
तुम्हारा जग में कोई हमदर्द तो है
पीर थोड़ी कम हुई पर दर्द तो है

हुए उजले ,मगर सर पर बाल तो है
बजती ढपली ,भले ही बेताल तो है
धूप थोड़ी कुनकुनी पर गर्म तो है
वो बड़े बिंदास है पर शर्म तो है
सपन आते नहीं ,आती नींद तो है
झगड़ते हम ,मगर हममें प्रीत तो है
गजब जलवा हुस्न का ,बेपर्द तो है
पीर थोड़ी कम हुई पर दर्द तो है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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