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शनिवार, 22 जून 2019

एक ऐसा भी हो रविवार

एक ऐसा भी हो रविवार
दिन भर हो मस्ती ,प्यार प्यार
रत्ती भर भी ना काम करें
बस हम केवल आराम करें
इतनी सी इस  दिल की हसरत
पूरा दिन फुरसत ही फुरसत
जब तक इच्छा ,तब तक सोयें
सपनो की दुनिया  में  खोयें
हों चाय ,पकोड़े ,बिस्तर पर
घर  बैठें मज़ा करें  दिन भर
ना जरुरत जल्द नहाने की
ना फ़िक्र हो दफ्तर जाने की
रख एक रेडियो ,सिरहाने
बस सुने पुराने हम गाने
या बैठ धूप में हम छत पर
हम खाये मूंगफली तबियत भर
या बाथरूम में चिल्ला कर
गाना हम गायें ,जी भर कर
मस्ती में गुजरे दिन सारा
मिल जाय प्यार जो तुम्हारा
सोने में सुहागा  मिल जाए
हमको मुंह माँगा मिल जाए
तुम मुझमे ,मैं तुम में खोकर  
बस  एक दूसरे के होकर
हम उड़े एक नयी दुनिया में
एक दूजे की बाहें थामे
जो इच्छा हो, खाये  पियें
एक दिन खुद के खातिर जियें
कम से कम महीने में एक बार
एक ऐसा भी हो रविवार
भूलें सब चिंता और रार
दिन भर बरसे बस प्यार प्यार

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '





 



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