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शुक्रवार, 21 जून 2019

ये प्यार बुढ़ापे वाला भी

ये प्यार बुढ़ापे वाला भी
करता हमको मतवाला भी
कहते देती दोगुना मज़ा ,
हो अगर पुरानी हाला भी

इतने दिन यौवन की संगत
लाती है बुढ़ापे में रंगत
आ जाता  रिश्तों में मिठास,
दिन दिन दूनी बढ़ती चाहत
 
कर रोज रोज  भागादौड़ी
कौड़ी  कौड़ी माया  जोड़ी
बच्चे घर बसा दूर जाते ,
सब उम्मीदें जाती तोड़ी

वो भरा हुआ घर ,चहल पहल
होता है खाली एक एक कर
सब सूना होता ,बचते है ,
घर में पति पत्नी ही केवल

जो साथ निभाते जीवन भर
रहते है आपस में निर्भर
अपने मन का सब बचा प्यार ,
देते उंढेल ,एक दूजे पर

थे बहुत व्यस्त ,जब था यौवन
संग रहने मिलते थे कुछ क्षण
अब पूरा समय समर्पित है,
हम रहते एक दूजे के बन

संग बैठो ,मिल कर बात करो
बीते किस्सों को याद करो
अपने ढंग से जीवन जियो ,
मस्ती ,खुशियां ,आल्हाद करो

ये साथ समर्पण वाला भी
सब अर्पण करने वाला भी
हम तुम मिल कर गप्पे मारे ,
हो हाथ चाय का प्याला भी

घोटू 

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