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मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017

नारी ,तुझमे ऐसा क्या है 

नारी तुझमे ऐसा क्या है 
जिसकी दीवानी दुनिया है 

क्या वह तेरी कोमलता है ,
या फिर तेरा कमनीय बदन 
या फिर तेरी सुंदरता है ,
या मांसल और गदराया तन 
या फिर ये नयन कटीले  है,
या चाल हिरणियों  वाली है 
रेखाएं वक्र,बदन की है ,
या फिर होठों को लाली है 
या अमृत कलश सजे तन पर ,
या मीठी बोली कोयल सी 
या लहराते कुन्तल तेरे ,
मन में करते कुछ हलचल सी 
पर शायद ये सब नहीं सिरफ ,
ये तो बस एक दिखावा है 
तेरी माँ बनने की क्षमता 
ने  देवी तुझे बनाया है 
ईश्वर ने कोख तुझे दी है ,
तुझमे प्रजनन की शक्ति है 
नवजीवन का इस दुनिया में ,
संचार तू ही कर सकती है 
तू माँ है,तुझमे ममता है ,
लालन ,पालन और पोषण है 
कोमल तन से ज्यादा कोमल ,
होता हर नारी का मन है 
तू अन्नपूर्णा है देवी ,
गृहणी,घर की संचालक है 
तू लक्ष्मी तू ही सरस्वती ,
तू दुर्गा ,शक्तिदायक है 
संगम है रूप गुणों का तू,
तू गंगा है तू यमुना है 
तू जीवनदात्री  देवी है ,
जिससे चलती ये दुनिया है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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