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बुधवार, 6 जनवरी 2016

एक प्रश्न

        एक प्रश्न

हे राम,
रावण ने छद्म रूप धर,
तुम्हारी पत्नी  को चुराया
अपने पुष्पक विमान में बिठा ,
लंका ले आया
पर उसे अपने राजमहल में नहीं
रखा दूर ,अशोकवाटिका में कहीं
उसको धमकाया ,ललचाया ,
पर उसे छुआ तक नहीं
वह लंकापति ,जब उसको हर सकता था
उसके साथ जबरजस्ती भी कर सकता था
पर वो भले ही दानव था
उसमे थी मानवता
पर तुमने उसे दंड दिया
उसका  संहार किया
और आज ,मानव का रूप लिए ,
कोई दानव  ,बलात्कारी
सड़क से लड़की को अगवा कर ,
पार कर जाए ,नृशंसता की हदें सारी
और वो लड़की ,आखरी दम  तक लड़े
वो बलात्कारी पकड़ा जाए
और उस पर मुकदमा चले
सालों बाद ये निर्णय आये
कि क्योंकि वह दरिंदा ,
बालिग़ नहीं था
इसलिए उसे सजा नहीं दे सकती ,
देश की क़ानून व्यवस्था
उसे सुधारगृह भेजा जाए
तो क्या उस वहशी दरिंदे को,
 सुधारने की जरूरत है  या ,
देश के क़ानून को सुधरने की जरूरत है
क्या रामराज्य के सपने दिखनेवाली ,
सरकार को ,कुछ सोचने की जरूरत है
हे राम,सच बतलाना ,
ऐसा होता तो तुम क्या निर्णय लेते ?
रावण नाबालिग होता ,
तो क्या तुम उसे छोड़ देते ?

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'


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