देवी महिमा
जो भागदौड़ करती दिनभर और जिसके बल चलता है घर
छोटी छोटी सब बातों में ,सारा घर भर ,जिस पर निर्भर
वह अन्नपूर्णा है घर की ,वह ज्ञानदायिनी , शिक्षक है
पति की सुखदायक रम्भा है और सास ससुर की सेवक है
वह रूप लिए कितने सारे ,है दिन भर ही खटती रहती
हर एक सदस्य के मन माफिक ,थोड़ा थोड़ा बंटती रहती
दे ससुर साहब को गरम दूध,सासू घुटनो पर तेल मले
और पतिदेव की फरमाइश पर चाय,पकोड़े गरम तले
सबके सुख दुःख की साथी है,अपना कर्तव्य निभाती है
कोई को भी हो कुछ पीड़ा ,झट भागी भागी जाती है
बच्चों को करवा होमवर्क, बाज़ार जाए,सौदा लाये
देखे बिखरा और अस्त व्यस्त ,घर की सफाई में जुट जाए
वह टूटे हुए बटन टाँके ,और फटे वस्त्र कर ठीक, सिये
दिन भर मशीन सी काम करे ,अपने मुख पर मुस्कान लिए
वह सरस्वती है ,लक्ष्मी है , देवी दस हाथों वाली है
वह शक्तिशालिनी दुर्गा है,उसकी हर बात निराली है
वह सेवाव्रती ,सुशीला है ,जिसके मन में है भरा प्यार
उस जग जननी ,माँ,देवी को ,है मेरा शत शत नमस्कार
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जो भागदौड़ करती दिनभर और जिसके बल चलता है घर
छोटी छोटी सब बातों में ,सारा घर भर ,जिस पर निर्भर
वह अन्नपूर्णा है घर की ,वह ज्ञानदायिनी , शिक्षक है
पति की सुखदायक रम्भा है और सास ससुर की सेवक है
वह रूप लिए कितने सारे ,है दिन भर ही खटती रहती
हर एक सदस्य के मन माफिक ,थोड़ा थोड़ा बंटती रहती
दे ससुर साहब को गरम दूध,सासू घुटनो पर तेल मले
और पतिदेव की फरमाइश पर चाय,पकोड़े गरम तले
सबके सुख दुःख की साथी है,अपना कर्तव्य निभाती है
कोई को भी हो कुछ पीड़ा ,झट भागी भागी जाती है
बच्चों को करवा होमवर्क, बाज़ार जाए,सौदा लाये
देखे बिखरा और अस्त व्यस्त ,घर की सफाई में जुट जाए
वह टूटे हुए बटन टाँके ,और फटे वस्त्र कर ठीक, सिये
दिन भर मशीन सी काम करे ,अपने मुख पर मुस्कान लिए
वह सरस्वती है ,लक्ष्मी है , देवी दस हाथों वाली है
वह शक्तिशालिनी दुर्गा है,उसकी हर बात निराली है
वह सेवाव्रती ,सुशीला है ,जिसके मन में है भरा प्यार
उस जग जननी ,माँ,देवी को ,है मेरा शत शत नमस्कार
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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