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मंगलवार, 30 जून 2015

पहली बरसात

              पहली बरसात

है हमें याद ,हम भीगे थे ,बारिश की पहली रिमझिम में
उस भीगे भीगे मौसम में भी आग लग गयी थी तन में
लहराता आँचल पागल सा था तेरे तन  से  चिपक गया
थे भीगे भीगे  श्वेत वस्त्र ,तेरा निखरा था  रूप नया
उस मस्त मचलते  यौवन ने,  कुछ ऐसा जादू ढाया था
तू भी थोड़ी पगलाई थी,मैं भी थोड़ा   पगलाया था
तू अमृतघट ले पनघट पर आयी थी प्यारी पनिहारन
मैंने निज प्यास बुझाई थी ,कर घूँट घूँट रस आस्वादन
तेरे गालों को सहला कर ,लब चूम रहे थे  जो मोती
मैंने हौले से निगल लिए थे एक एक कर सब मोती
और जी भर रसपान किया  ,बौराये दीवानेपन में
है हमें याद ,हम भीगे थे ,बारिश की पहली रिमझिम में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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