पृष्ठ

शनिवार, 16 मई 2015

शुक्रिया-G

                       शुक्रिया-G

करें हम शुक्रिया उनका,बनाया जिनने ये गूगल
बटन के बस दबाते ही,समस्या सारी होती हल
बड़ी तहजीब बच्चों को,सिखाई है इस गूगल ने ,
संदेशा ,चिट्ठी कुछ भी हो ,लगाते पहले 'जी'केवल 
न ज्यादा बोलते  है और ,न ही बकवास करते है ,
चिपक कर अपने मोबाइल से,चेटिंग करते है हर पल
ये गूगल की मेहरबानी,कहीं तो इनका 'जी 'लगता ,
नहीं तो ये नयी पीढ़ी,बड़ी बन जाती उच्श्रंखल
औरतें सीख लेती झट ,उन्हें जो भी पकाना हो,
गृहस्थी को चलाने में,बड़ा ही मिलता है संबल
अब इनका मार्ग दर्शन भी ,सब GPS   करता है,
पहुँचते अपनी मंज़िल पर,सहारे 'जी'के ही केवल
हमेशा सर झुका रहते ,किया करते है बस दर्शन ,
पिता G और माता G ,सभी कुछ इनका है गूगल

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।