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शनिवार, 16 मई 2015

नेता और व्यवस्था

       नेता और व्यवस्था

वो हम में से एक था
और बन्दा भी नेक था
करता सद्व्यवहार  था
सबको उससे  प्यार था
मीठा मीठा बोलता
सुख और दुःख में दौड़ता
सबसे उस का मेल था
पर वो आठंवी  फ़ैल था
बात बनाता सुन्दर था
सबमे वो  पॉपुलर था
थोड़ा चलता पुरजा था
घर मुश्किल से चलता था
उसके सेवा भाव  में
पाया टिकिट चुनाव में
उसने  खेल अजब खेले
चुना बन गया एम एल ए
उसकी जाति  विशेष थी
और किस्मत भी तेज थी
वो उस ग्रूप का बन नेता
शिक्षा मंत्री बन बैठा
कुर्सी मिली ,आगया ज्ञान
मेरा भारत देश महान
जिसे न पढ़ना आता है
शिक्षा नीति बनाता है
यही रो रहे थे रोना
किन्तु हुआ जो था होना
आया थोड़ा परिवर्तन
मंत्रिमंडल ,पुनर्गठन
किस्मत का है खेल अजब
वित्त मंत्री था वो अब
कैसा खेल विधाता है
जो घर चला न पाता  है
अब वो प्रान्त चलाएगा
वित्त की नीति बनाएगा
कुर्सी लाती सारे गुण
मूरख ग्यानी जाता बन
कल था शिक्षा का ज्ञाता
आज वित्त उसको आता
कैसी अजब व्यवस्था है
हाल देश का खस्ता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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