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बुधवार, 22 अप्रैल 2015

लौट के पप्पू घर को आये

         लौट के पप्पू घर को आये

बहुत कोशिश की मन की भड़ासे सब निकल जाए
हुआ दो माह को गायब,विपासन,आसन ,आजमाए
कहा अम्मा ने समझा कर ,न यूं नाराज़ होते है
समझदारी और धीरज से राज के काज होते है
मिलेगा दिल्ली में आकर ,समस्याओं का हल तुझको
और चमचों ने रैली में ,दिया पकड़ा एक हल उसको
हर जगह मात खायी थी ,तो दो महीने जुगाली की
जोर से आके रम्भाया ,और जी भर के गाली दी
मगर पप्पू ,रहा पप्पू ,कौन अब उसको समझाए
ख़ाक बेंकाक की छानी ,लौट के बुद्धू घर आये
कोशिशे लाख की उसने ,मगर आगे न बढ़ पाया
न तो कुर्सी पे चढ़ पाया ,नहीं घोड़ी पे चढ़ पाया

घोटू   

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