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रविवार, 26 अप्रैल 2015

भूकम्प

            भूकम्प

जब घर हिलता,तो घरवाले ,छोड़ छोड़ घर ,जाते बाहर
घरवालों के घर  को छोड़े  जाने  से भी ,हिलता है  घर
जो घर हमें आसरा देता , उसे छोड़ देते   मुश्किल  में
पहले फ़िक्र सभी को अपनी ,घर की कोई फ़िक्र न दिल में
पिता सरीखा ,घर संरक्षक ,और माता जैसी धरती है
यह व्यवहार देख बच्चों का ,ही धरती कांपा करती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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