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रविवार, 26 अप्रैल 2015

रहम करो - रहम करो त्राहि माम - त्राहि माम...


सभी भूकम्प पीड़ितों के प्रति हार्दिक संवेदना
एवं प्रभावित क्षेत्र के सभी लोगों के लिये
ईश्वर से प्रार्थना के साथ...एक भाव, 
जो अनायास ही आ गया मन में...

कभी भूकंप - कभी बाढ़
कभी सूखा - कभी सुनामी
कभी दंगे - कभी दुर्घटना,
जैसे इस बहाने ईश्वर 
चाहता हो ये कहना कि
'भय बिनु होय न प्रीति...'
क्योंकि अगर न हों ये आपदायें
मनुष्य का शक्तिशाली मस्तिष्क
कहां मानेगा उसकी सत्ता को
कहां स्वीकारेगा उसकी प्रभुता को...
होती तो है पूरी कोशिश
होता तो है पूरा प्रयास कि
खोज ली जाये पूरी तकनीक
निचोड़ लिया जाये पूरा विज्ञान
सुलझा ली जायें सारी समस्यायें
जीत ली जायें सारी दिशायें
जीत लिया जाये पूरा ब्रह्माण्ड
गढ़ लिया जाये 
अपने जैसा दूसरा मानव,
गढ़ दिया जाये 
साक्षात ईश्वर को भी
गॉड पार्टिकल के रूप में...
लेकिन तभी लगता है एक झटका
और धरी की धरी रह जाती है
सारी तकनीक - सारा विज्ञान
सारी की सारी विद्यायें,
तब निकलता है मुँह से
'हे ईश्वर - या ख़ुदा - ओ गॉड
या फिर हे राम
रहम करो - रहम करो
त्राहि माम - त्राहि माम...'

- विशाल चर्चित

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