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शनिवार, 28 मार्च 2015

मैं औरत हूँ

            मैं औरत हूँ

मैं औरत हूँ
कोमल ह्रदय,कामिनी सुन्दर,स्नेहिल ममता की मूरत हूँ
विधि की सर्वोत्तम रचना हूँ,मैं अनमोल निधि ,अमृत  हूँ
सरस्वती सी ज्ञानवती हूँ,और  लक्ष्मी  की सम्पद   हूँ
मैं सीता सी सहनशील हूँ, और सावित्री का पतिव्रत हूँ
माँ हूँ कभी,कभी बहना हूँ,पत्नी कभी  खूबसूरत   हूँ
परिवार की मर्यादा हूँ,और हर घर की मैं  इज्जत हूँ
जिसकी छाँव  तले सब पलते ,हरा भरा वह अक्षयवट हूँ
मुझको अबला कहने वालों ,मैं तो दुर्गा की ताकत हूँ
मैं बेटी ,पर लोग  भ्रूण में ,हत्या करते ,मैं आहत  हूँ
मैं औरत हूँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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