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गुरुवार, 7 अगस्त 2014

पत्थर दिल

       पत्थर दिल

कहा उनने  हमें एक दिन ,आपका दिल तो है पत्थर
कहा हमने ,ये तारीफ़ या कोई इल्जाम है हम पर
कोई पत्थर है नग  होता ,अंगूठी में जड़ा  जाता
चमकता कोई हीरे सा ,सभी के मन को है भाता
कोई पत्थर ,पुजाता है ,देवता बन  के मंदिर  में
कोई पत्थर है संगमरमर ,लगाया जाता घर घर में
कोई पत्थर है रोड़ी का,बने  कंक्रीट जो ढल कर
कोई  पत्थर ,जो फेंको तो,फोड़ देता ,किसी का सर
कोई को वृक्ष पर फेंको ,तो मीठे फल है खिलवाता 
ज़रा सी किरकिरी बन कोई , आँखों में  चुभा जाता
कोई  रस्ते में टकराता  ,लगाता  पाँव में  ठोकर
कोई मंजिल बताता है ,जब बनता मील का पत्थर
मैं पत्त्थर दिल,मगर ये तो बताओ कोन सा पत्थर
कहा उनने  'तुम हीरे हो' ,मुझे बाहों में अपनी भर

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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