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गुरुवार, 7 अगस्त 2014

एक दूजे के लिये

            एक  दूजे  के लिये

हाथ पे रख  के सर सोते,चैन की नींद आती है
दबाते  हाथ जब सर को,तो पीड़ा भाग जाती है
कभी है नाव पर गाडी ,कभी गाडी है  नाव पर ,
सहारे एक दूजे के, जिंदगी कट ही  जाती   है
जहाँ पर धूप है प्रातः ,वहीँ पर छाँव संध्या को,
धूप और छाँव का ये खेल ,सारी उम्र चलता है,
कभी चलता है बच्चा ,बाप की उंगली पकड़ कर के ,
जब होता बाप बूढा,बच्चे की ऊँगली पकड़ता है
रहो तुम मेरे दिल में और रहूँ मै दिल में तुम्हारे ,
मगर हम संग रहते ये ,मोहब्बत की निशानी है
गिरूँ मै ,तुम मुझे थामो,गिरो तुम ,मै तुम्हे थामू,
भरोसे एक दूजे के ,  उमर हमको बितानी   है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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