लकीर के फ़कीर
जो चलते है निश्चित पथ पर ,उनकी यात्रा होती सुखमय
ना तो ऊबड़ खाबड़ रस्ता ,नहीं भटकने का कोई भय
लोह पटरियां, बिछी रेल की,पथ मजबूत ,बराबर,समतल
निश्चित पथ पर आती,जाती, ट्रेन चला करती है दिन भर
हम लकीर के यदि फ़कीर है ,सुगम जिंदगी का होता पथ
बिन बाधा के ,तीव्र गति से ,चलता रहता है जीवन रथ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जो चलते है निश्चित पथ पर ,उनकी यात्रा होती सुखमय
ना तो ऊबड़ खाबड़ रस्ता ,नहीं भटकने का कोई भय
लोह पटरियां, बिछी रेल की,पथ मजबूत ,बराबर,समतल
निश्चित पथ पर आती,जाती, ट्रेन चला करती है दिन भर
हम लकीर के यदि फ़कीर है ,सुगम जिंदगी का होता पथ
बिन बाधा के ,तीव्र गति से ,चलता रहता है जीवन रथ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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