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बुधवार, 21 मई 2014

सिमट सैंतालिस पर हम रह गए

       सिमट सैंतालिस पर हम रह गए

                 किले थे  उम्मीद के , सब ढह गए
                दिल के अरमां ,आंसूओ में बह गए  
चाहती थी माँ, बनूँ पी एम   मैं
बैठ कर बंसी बजाऊं ,चैन   में
करी रैली,भटका भी दिनरैन  मैं
        बिन कहे  वोटर  सभी कुछ कह गए
         दिल के अरमां ,आंसूंओं में बह गए 
गरीबों के घर रुके,भोजन किये
फाड़ा अध्यादेश ,सब नाटक किये
कोसा मोदी को ,बहुत  भाषण  दिये
          सिमट सैतालिस पर  हम रह गए
           दिल के अरमां ,आंसूंओं में बह गए
हारे दिग्गज सब,मुसीबत हो गयी
जब्त कितनो की जमानत हो गयी
हर तरफ आफत ही आफत  हो गयी
               अब तो हम  मुश्किल के मारे रह गए
                दिल के अरमां ,आंसूंओं में बह गए
सोचा था ,पी एम जब बन जाएंगे
 विदेशी  प्यारी दुल्हनिया  लाएंगे
क्या पता था,कहर  मोदी ढाएंगे
            हम  कंवारे   थे,  कंवारे रह गए
            दिल के अरमां ,आंसूंओं में बह गए

 मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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