पृष्ठ

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

हम इमोशनल फूल है

     हम इमोशनल फूल है

ब्रिटिश आर्मी के घोड़े ,
जब बूढ़े होते थे थोड़े ,
उन्हें कर दिया जाता था शूट
और गायें ,जब बंद ,कर देती देना दूध
भेज दी जाती  ,'स्लॉटर हाऊस '
और  माता पिता ,
जब बूढ़े और निर्बल हो जाते है
तो वो 'ओल्ड एज होम 'भेज दिए जाते है
अनुपयोगी चीजों का तिरस्कार
शायद है उनका प्रेक्टिकल व्यवहार
और हम लोग,बूढी गायों के लिए ,
गौशाला बनवाते है
बूढ़े माँ बाप की सेवा कर पुण्य कमाते है 
उनको हम देव तुल्य मानते है
और रिश्तों की अहमियत जानते है
हम ये सब क्यों करते फिजूल है 
क्या ये हमारी भूल है
नहीं नहीं ,हमें तो ये दिल से बड़ा अच्छा लगता है,
क्योंकि हम 'इमोशनल फूल'है ,

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।