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शनिवार, 21 दिसंबर 2013

दर्द - दिल्ली का

           दर्द - दिल्ली  का

शादी हम पांच बहनो की थी  हुई एक साथ
उनमे से चार ने तो मना  ली  सुहागरात
मैं  सबसे छोटी ,दुलारी ,प्यारी और हसीं
दुल्हे का मेरे अभी तक कोई पता  नहीं
बाकी सभी के दुल्हे तो थे खूब अनुभवी
मेरा था नौसिखिया ,कंवारा,ये कमी रही
सोचा  था नव जवान है और जोश से भरा
कर देगा मेरी गोद  को जल्दी हरा भरा
पर वो तो मेरे पास ही आने में सहमता
लोगों  से फिर से पूछ के आउंगा,ये कहता  ,
अब मेरे मन में होने लगा दर्द है यही  
क्या मेरा ये दूल्हा कहीं   नामर्द तो नहीं
दुल्हन बनी दिल्ली के कहा ,भर के ठंडी आह
लगता है अब तो करना पडेगा पुनर्विवाह

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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